Book Title: Heervijay Suri Jivan Vruttant
Author(s): Kanhaiyalal Jain
Publisher: Atmanand Jain Tract Society

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [१७]] (४१) जिसमें हिंसा प्रति बन्धन का अधिक अवधि विस्तार किया, जज़िया नामक कर भी कृपया फिर अकबर ने उठा लिया। इसके हित अकबर का भारत वर्ष सभी आभारी है, इस से नीति निपुणता अकबर की प्रकटित अति प्यारी है। (५०) शान्ति चन्द्र के पीछे आए भानु चन्द्र नामक विद्वान् , सिद्धिचन्द्र थे शिष्य जिन्हों के साहित्यज्ञ अतिशय गुणवान् । इसी शिष्य श्री सिद्धिचन्द्र ने बाण भट्ट कविकी रचना, कादम्बरी उच्च कृति की थी टीका लिखी उदार मना ।। __(५१) वह टीका उनकी विद्वत्ता का देती अब तक संदेश, उसके अन्तिम वाक्यों से उनका भी परिचय मिले विशेष । उन वाक्यों से यही हमें संक्षिप्त रूप में पड़ता जान, 'अकबर शाह' प्रसन्न हुआ लख सिद्धिचन्द्र का शतावधान ।। For Private And Personal Use Only

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