Book Title: Heervijay Suri Jivan Vruttant Author(s): Kanhaiyalal Jain Publisher: Atmanand Jain Tract Society View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एक आदर्श जीवन मंगलाचरण । जय जय जगदाधार । जगत्पति । करुणा बरुणालय भगवान् । जयजय रिपुदल-घातक ! सचराचर के ज्ञाता ! दयानिधान् । विश्वपते ! जय, जगद्गते ! जय,जय जय जय सर्वेश महान् । जय जय जय अरिहन्त विभो! श्री बीतराग जग-जीवन-प्राण । तेरी अनुकम्पाका विभुवर पार नहीं हम पाते हैं, ऋषि, मुनि, योगी, व्रती तपस्वी तेरा नित गुण गाते हैं । तू अद्भत अज अनाद्यन्तहै शाश्वत जीवन मरण विहीन, तू प्यारे हृदमें मेरे है पर न तुझे लखते हग दीन । (३) तेरे अद्भुत रूप प्रकृति में कृति की सीख सिखाते हैं, तेरी अद्भुत भक्ति शक्ति सारों में प्यारे पाते हैं। आज अलौकिक बल हम में भी करो विभो संचालन शीघ्र, जागृत जो हम भी होकर कर्बव्य करें निज पालन शीघ्र । For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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