Book Title: Heervijay Suri Jivan Vruttant
Author(s): Kanhaiyalal Jain
Publisher: Atmanand Jain Tract Society

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [७] (१६) जगमल कछवाहे के मन्दिर एक रात्रि करकं विश्राम, हुए शाह दरबार उपस्थित द्वितीय दिवस मुनिवर सुखधाम । उसी समय में नृप अकबर पर महत् कार्य की थी भरमार, 'हीर विजय जी' की सेवा का सौंपा अबुलफज़ल पर भार ।। (२०) 'अबुलफल' तब निज घर में श्री हीर विजय के साथ गया, भक्ति भाव का श्रोत वहां पर लगा उमडने और नया । कुछी काल पश्चात् धर्म-सम्बन्धी उसने प्रश्न किये, संतोष-प्रद उत्तर जिनके मुनिवर ने तत्काल दिये ।। (२१) 'अबुलफज़ल' ने कहा--"हमारी धर्म पुस्तिका कहे कुरान'मुसल्मान के शव का है प्रलयान्त तलक भूमि में स्थान । प्रलय अन्त में सभी खुदा के सम्मुख होंगे वे नर नार, पुण्य पार का पक्ष पात को त्याग करेगा खुदा विचार ।। For Private And Personal Use Only

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