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[५]
वहां *शहाबुदीन गवर्नर पर पहुंचा फरमान विशेष, हीर विजय जी को था जिसमें वहां भेनने का आदेश । इसको देख गवर्नर ने एकत्र किये सब जैन प्रधान, और उन्हें वह सभी सुनाया जो जो कहता था फरमान ।।
(१४) विजय मूरि जी किन्तु वशं से गये हुये थे और कहीं, अतः प्रतिष्ठित मान्य जैन कुछ पहुंचे उनके निकट वहीं । उन से जाकर संदेशा सब कहा सुनाकर वह फरमान, जिस पर मुनिवर लगे सोचने अपने मन में दया निधान ।।
(१५) जाकर राज्य सभा में सम्भव है कि हो सके बहु उपकार, और सतत उपकार कर्म ही है मुनि के जीवन का सार । अतः फतहपुर सीकरी गमन का मुनिवर ने तब किया विचार, इसी हेतु वे लौट अहमदाबाद गये होने तैयार ।।
* पूरा नाम था 'शहाबुद्दीन अहमदखां" $ फतहपुर सीकरी ॥
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