Book Title: Heervijay Suri Jivan Vruttant
Author(s): Kanhaiyalal Jain
Publisher: Atmanand Jain Tract Society

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [] (१६) वहां शहाबुद्दीन मिला और किया मान आदर सत्कार, हाथी, घोड़े, और द्रव्य का देने लगा उन्हें उपहार । किन्तु सभी सादर लौटाए, मुनिवर न किये स्वीकार, जो लाए फरमान साथ उनके मुनि पैदल चले उदार ।। (१७) पट्टन, पालन, पुरी, सिरोही, पाली, और मेड़ता ग्राम, जो पथ में आए उनके वासी करते सत्कार प्रणाम । पहुंचे सांगानेर पठाया "विमल हर्ष को शाह समीप, पाकर मुनि आगमन सूचना हुए तभी तैय्यार महीप ।। (१८) और धूम से स्वागत करने ‘थानसिंह' को भेज दिया, उसके साथ और अफसर, रथ, हय, गय, सैन्य, समूह किया। और साथ दे प्रमुख जैन जनता को भेजा सांगानेर, जिनके साथ फतहपुर आते मुनिवर को कुछ लगी न देर ।। * विमल हप' सूरिजी के शिष्य थे । For Private And Personal Use Only

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