Book Title: Heervijay Suri Jivan Vruttant Author(s): Kanhaiyalal Jain Publisher: Atmanand Jain Tract Society View full book textPage 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥समर्पण॥ करना नित समाज की सेवा जिसका है यह सन्तत यत्न, ज्ञान और साहित्य वृद्धि हित करती प्रकट और नर रत्न । पुण्य वृद्धि हित कार्य क्षेत्र है बना हुआ जिसका दर्पण, उसी " प्रकाशक-ट्रैक्ट-सभा" को है यह क्षुद्र काव्य अर्पण ।। इसको सादर स्वीकार कर विश्व व्याप्त कर दीजिये, भारतमां के कर कमल में अर्पित इसको कीजिये । कन्हैयालाल जैन, For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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