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प्रथम भाग सूचीपत्रम् ।। विषय ज्ञानदीपिका ग्रन्थ का नामार्थ हूंडक मत कहाने की पुष्टि बहुत .... जैनतत्वादर्श ग्रन्थ में क्या २ कथन हैं ऐसा स्वरूप २० ५ वर्ष के ने दीक्षा ली, और तीन किरोड़ ग्रन्थ
रचे, तेखण्डन ..... मूत्र थकी जो २ विरुद्ध .... .... परस्पर और विरुद्ध .... .... पूर्वपक्षी ने हिंसा मे धर्म कहना वन्ध्या पुत्रवत्
झूठ कहा है और फिर धर्म के निमित्त हिंसा करनी हकीम के दृष्टान्त से सम्यकत्व
की शुद्धता कही है तिस का खंडन .... ३४| पूर्वपक्षी ने फटे कपड़े से समायक और दान ___ तप करना निष्फल कहा है तिसका खण्डन ४३ समायक में पूजा नहीं करनी मन्दिर में से
साधु मकड़ी के जाले उतारे .... ४५ पूर्वपक्षी ने पश्चिम दक्षिण को मुख करके पूजा ।
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