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लिखा है उक्तंच "अनंत मिस्सिए" प्रत्येक मिस्सिए इन शब्दों का अर्थ पूर्व पक्षी ने ऐसे लिखा है कि अनन्त को प्रत्येक कहे तो मिश्र, प्रत्येक को अनन्त कहे तो मिश्र । तर्क यह तो मिथ्या शब्द का अर्थ है और लिङ्गिये ने मिश्र शब्द का अर्थ लिखा है यह विरुद्ध २१। पत्र १११ वें पर लिखा है कि “ मुलोत्र गुण दोष प्रति सेवी व कुश इत्यादि " उत्तर पक्षी, सो यह झूठ, क्योंकि भगवती सूत्र सतक २५ उदेशा ६ द्रार ६ ‘वकुश नियंठा नो मूल गुण पड़ि सेवय होजा उत्तर गुण पड़िसेवय होजा' इति वचनात् पूर्व पक्षी का कहना है कि मूल गुण उत्तर गुण में दोष लगाने वाले में वकुश नियंठा पाईये और सूत्र में मुल गुण में दोष लगाने वाले में व
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