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भाव का तो परस्पर रातदिन का अन्तर है ॥ यथा, दृष्टान्त है कि जो गृहस्थी लोक हैं, वे अपने पुत्र, पुत्रियों को लिखना पढ़ना आदिक कार व्यवहार तथा लज्जा का करना और मीठा बोलना तथा क्षमा का करना और माता, पिता आदिक की आज्ञा का प्रमाण करना इत्यादि, शिक्षा और विद्या बड़ीर मिहनत से सिखाते हैं और उनको बहुत अभ्यास | करने से विद्या आती है क्योंकि कर्मों का || क्षयोपशम होवे तो विद्या आवे न हो तो
नहीं आवे और फिर देखियेगा कि एक दो दिन के वच्चों को स्तन का दबाना अर्थात् दूधका चूंगना, कौन सिखाता है और फिर रोना, हंसना और रूठना और करना कुछ और बताना कुछ इत्यादि अनेक उपाधियें