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इत्यर्थः परन्तु महाबीर स्वामी जी ने ऐसे तो नहीं कहा कि हे गौतम ! साधु जिसरग्राम नगर में जाय उस२ नगर में मन्दिर बनवा देवे छैणे, ढोलकी बजवा देवे पुराने देहरों को तोड़ कर नये बनवा देवे इत्यादि हां अलबत्ता नये ग्रन्थ जिनमें ग्रन्थ रचयिता आचार्य का नाम और (साल) सम्बत् का नाम होगा सो उनमें ऐसा पूर्वक समाचार लिखा होगा परन्तु एक बड़ी भूल की बात है कि मूर्ति को भगवान कहना यथा “जिन पडिमा जिन सारखी" फिर दमड़ीरमोल करना बड़ी अशा |तना है जैसे कि एक अनापूर्वी नाम छोटी सी पोथी होती है और उसका)|आधआना मोल पड़ता है और उसमें ११ ग्यारह मूर्तिये | छपाते हैं । अब सोचना चाहिये कि एक २