Book Title: Gyandipika arthat Jaindyot
Author(s): Parvati Sati
Publisher: Maherchand Lakshmandas

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Page 352
________________ RSVAVAITAVEVOVVVVOINOVAVAVAVVANAVANAVeva * प्रार्थना * CACHONPANCACADOARMARAQLANACACACACACAO सव जैनी भाइयों को विदित हो कि दूसरी वार यह पुस्तक ज्ञानदीपिका ५०० प्रति छपा । था, और हाथों हाथ विक्रय हो गया था अब d दूर २ देशों से नित्य प्रति पत्र आते थे, इस तुकारण हमने तीसरी वार यत्न से टाईप के। उत्तम अक्षरों में छपवाया है। अब सब से यही प्रार्थना है, कि हर एक भाई अपने २ नगर व तथा अन्य देशों में इस पुस्तक का प्रचार करें। दास मेहरचन्द, लक्ष्मणदास ( श्रावक ) मालिक संस्कृत पुस्तकालय लाहौर। NOVAVANDNAVAVAVAVAVAVAVOVANAVAVAVAVAVAVATAVAVAVAVAVALA

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