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विक्रम के द्वारे सवाल किया कि ओंकार नगर में चतुर्दार जैन मन्दिर शिवमन्दर से ऊंचा बनवाओ और प्रतिष्ठा भी कराओ, तब राजाने वैसे ही करा, फिर और पत्र५६८वें पर लिखा है कि श्रीवज्रस्वामी आचार्य ने बौद्धों के राज में श्रीजिनेन्द्र की पूजावास्ते फूल लाके दिये. बौद्ध राजा को जैन मती करा, तर्क० देखो साधु हाथों से फूल लाये परन्तु सनातन सूत्रों में तो ऐसाभाव कहीं नहीं है जैसे कि गौतम जी सुधर्म स्वामी जम्बू स्वामी आदि आचायौँ ने किसी पहाड़वा मन्दिर तथा मूर्ति का उद्धार कराया तथा प्रतिष्ठा वा पूजा करी कराई अथवा किसी श्रावक ने पहाड़ की यात्रा करी तथा मन्दिर वा मूर्ति आदि बनवाये हों इत्यादि अपितु शास्त्र में तो ऐसा भाव है कि