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हैं,क्योंकि उत्तराध्ययन अध्ययन१०वां गाथा३१ वी में ऐसाभाव है कि भगवान महावीरस्वामी कहते भये कि “आग में काले" अर्थात् पांचमें आरेमें आर्य पुरुष जैनी भव्य लोक यों कहेंगे कि नहीं निश्चय आज दिन जिनेश्वरदेव दीखे परन्तु वणा दीखे है जिनेश्वरदेव का उपदेशामार्ग, तथा मार्ग के बताने वाले अर्थात् साधु । सो सूत्र यह है “नह जिने अज दीसई वह मए दीसई मग्ग देशिए "इतिवचनात् । परन्तु यहां ऐसे नहीं कहा कि आज जिन नहीं दीखे परन्तु जिन पडिमा जिन सारखी घनी दीखे है.इत्यादि० नजाने पूर्व पक्षी ने कौन से नये बनावटी ग्रन्थ वमृजिव, तथा स्वकपोल कल्पित जेन तत्वादर्श ग्रन्थ पत्र ५६६ वें पर लिखा है कि "सिद्धसेन दिवाकर साधु ने राजा
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