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होवेऔर मूर्ति को भगवान् कहनातो ठीकनहीं | क्योंकि इससे ऐसे प्रश्न पैदा होते हैं किः
१ प्र० देव समदृष्टि वा मिथ्या दृष्टि है ? ___ उ०देव समदृष्टि और मूर्ति जो मुचित पाषाण की होवे तो । मिथ्या दृष्टि नहीं तो जड़ तो है ही । इसी तरह सब जगह प्रश्न (सवाल) के उत्तर ( जवाब) में कहना।
२ प्र० देव, सागी किम्बा भोगी ? - उ० देव सागी, मूर्ति भोगी। ३ प्र० देव संयति, किम्वा असंयति ?
उ० देव संयति, मूर्ति असंयति । ४ प्र० देव संवरी किम्वा असंवरी ?
उ० देव संवरी मूर्ति असंवरी । ५ प्र० देव वृत्ति किम्वा अवृत्ति ? ___उ० देव वृत्ति, मूर्ति अत्ति । ६ प्र० देव त्रस्य किम्बा स्थावर ?
उ० देव त्रस्य, मूर्ति स्थावर ? ७ प्र० देव पञ्चन्द्रिय किम्वा एकेन्द्रिय ? उ० देव पञ्चेन्द्रिय, मूर्ति एकेन्द्रिय ।