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तर्क - अरे भाई ! ऐसे लिखने वाले ! यह क्या तुम्हारी समझ में फरक है कि जो ऐसे ऐसे भगवान के अपमान रूप कथन लिखते हों और ऐसे ही और नवीन ग्रन्थों के कथन भी सिद्ध होंगे जिनपै तुमने आचरण (अमल) किया है । नहीं तो बुद्धिमान को चाहिये कि यथार्थ भाव पर प्रतीति करे और यह ऐसे २ पूर्वक कथन तो प्रत्यक्ष उपहास रूप विरुद्ध हैं ॥ १९ ॥ पत्र ४६७ वें पर लिखा है कि कृष्ण वासुदेव नेमजी को पूछता भया कि हे भगवन् ! कौनसा पर्व पर्वों में से उत्तम है तब नेम जी कहते भये कि माशिर शुदि ११ एकादशी पर्व उत्तम है क्योंकि इस पर्व में जिनेन्द्रों के ५ पांच कल्याण सर्व क्षेत्र आश्री १५० डेढ़ सौ हुए हैं फिर कृष्ण