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विषय सात ७ कुविष्ण के नाम और जो पुरुष अङ्गीकार करें उन को जो जो दुःख रूप
फल होय ऐसे भाव के श्लोक .... १६६ नर्कादि ४ चार गति के जाने वाले प्राणी के
४ चार चार लक्षण और ४ चार गति कौन २ से स्थान हैं और उन का क्या२ स्वरूप है और उन का दःख सुख आदि कैसा व्यवहार है इत्यादि ज्ञान रूप और
उपदेश रूप बहुत अच्छा कथन है १७१ नर्कादि ४ चारगति मांहली कोई सी गति में
से आकर मनुष्य हुए होय उन के भिन्न २ छः छः लक्षण और ३० महा मोहनीकर्म
और ३० सामान्य कर्म फल सहित लिखे हैं १८९ ८ आठवां (तृतीय गुणव्रत) जो विन मतलब
कर्मबन्ध कार्य का स्वरूप और तिस का त्यागना ऐसा भाव है परन्तु गृहस्थी को पापों से बचाने को बहुत अच्छा भाव है २०१