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बजरंगजी यति के पास दीक्षा ली और शास्त्र पढ़ने लगे फिर शास्त्र के अभ्यास होने से दीक्षा लिये वर्ष के बाद जो भ्रष्टाचारी मठा वलंबी यति लोकथे,उनकी शास्त्रोक्त क्रियाहीन देखी क्यों किस करके सोई उनकी क्रिया के शिथिल होने का कारण भी कुछक पहले लिख | देते हैं, सो ऐसे है कि व्यवहार सूत्रक्री चूलिका में खुलासा लिखा है कि १२ वर्षीय काल में घणे सूत्र विछेद जांयगे इत्यादि ।
सो विक्रम के साल ५३८ के लगभग में १२ वर्षीय काल पड़ा सुना जाता है सो तिस काल के विषे घणे तो सूत्र विछेद गये और तिस काल में साधु का जो निरवद्य आचार था सो हरएक से पलना मुशकिल होगया और आचारवान् साधु तो कोई विरला