________________ गुण स्वर्ग 4 थो. . PPA Guntarasut MS Is ध्वजारोपः कृतो येन, फलं तस्य निगद्यते ॥अत्रास्ति नरतक्षेत्रे, पुरमिपुरं परम् // 1 // तत्रानूद्देवचंज्ञख्यो, भूपो देवेंइसन्निनः // देवी च देविला तस्य, देवकांतेव दिरुव्यक् // 2 // जेणे जिणेश्वरना मंदिर उपर पजा चडावी छे, तेनुं फल कडेवाय छे. आ भरतक्षेत्रमा उत्तम एवं इंद्रपुर नामर्नु नगर छे. // 1 // ते नगरमां इंद्रना सरखो देवचंद्र नामनो राजा हतो अने ते राजाने देवांगनाना समान Ite दिव्य कांतिवाली देविला नामनी स्त्री हती. // 2 // कनकस्य ततो जीव स्तस्या कुकिं समागतः॥ समये स तया सूतः, पिता चके महोत्सवम् // गरुडध्वजश्त्याख्यां तस्य जाता मनोरमा // तस्मै प्रवईमानाय, राज्यं दत्वा पिता मृतः // 4 // * हवे कनकनो जीव ते देविना उदरने विषे आव्यो, अवसरे देविलाये तेने जन्म आप्यो. जेथी देवचंद्र रा जाए पुत्र जन्मनो म्होटो उत्सव करयो. // 3 // पिताए ते पुत्रनुं मनोहर " गरुडध्वज " एवं नाम पाडयुं पछी a अनुक्रमे म्होटा थयेला ते पुत्रने राज्य आपीने देवचंद्र राजा मृत्यु पाम्यो. // 4 / / गरुडध्वज नृपालेऽन्यदा संसदि संस्थिते // वेत्रिप्रवेशितो दूतो, नत्वा कार्यमन्नाषत // 5 // अस्ति पंचालदेशेषु, पुरं शिवपुरानिधम् // तत्र श्रीशंकरो राजा, शिवचंज्ञस्य तु प्रिया // 6 // एक दिवस गरुडध्वज राजा सभामां बेठो हतो एवामां द्वारपाले सभामा प्रवेश करावेला कोइ दूते राजाने नमस्कार करीने कार्य कहेवा लाग्यो. // 5 // हे राजन् ! पंचालदेशमा शिवपुर नामर्नु नगर छे. त्यां शंकरनामनो राजा राज्य करे छे. वली ते राजाने शिवचंद्रा नामनी स्त्री छे. // 6 // . Jun Gun Asracha Trust पणा