Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang
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________________ गुण // 10 // PPA Gunratt MS | ततःपलायमानासा, गृहीत्वा तनयं गता // अत्यंतव्याकुलत्वेन, पुत्री तत्रैव विस्मृताः 437 ततो गतेषु तेषु च, लोकास्ते मिलिताःपुनः॥ विस्मृतां शोधयामास, राझी निजसुतां नरैः॥ __ पछी नासी जती एवी राणी पण पुत्रने लइने नासी गइ. अने अत्यंत व्याकुलपणाथी पुत्रीने त्यांज भली गइ. // 437 // पछी से भील्ल लोको चाल्या गया एटले राणीना सौ माणसो एकठा थया. वे वखते राणीये पोतानी खोवाइ गयेली छोकरीने शोधाववा मांडो. // 438 // अप्राप्य तां वने क्वापि,सा जगाम पितुर्गृहम् मातापितॄन्यामानंदं ददाना तत्र तस्थुषी॥४३९॥ तत्र स्थित्वा कियत्कालं, सा जगाम निजं पुरम् // तनयं वईयामास, शैशवादपि नूपतिम्॥ ____ वनमां क्यांइथी पण पुत्रीने न पामीने ते राणी गौरी पिताना घरे गइ अने सां ते मातापिताने आनंद पमाडती छती रही.॥ 439 // त्यां केटलोक रह्या पछी ते राणी पोताना नगरे गइ अने राजारूप पाताना पुत्रने बाल्यावस्थाथी म्होटो करयो.॥ 440 // तत्र तारुण्यमारुडे, लसल्लावप्पयशालिनि // तद्योग्यां कन्यकां राझी, पप्रच निजमंत्रिणः // कोऽपि प्रोचे पुरे पद्मनानाख्ये शिवनूपतेः॥ वनमालानिधा कन्या, वर्त्तते रूपशालिनो वश राजकुमार पद्म उत्तम लावण्यथा शोभता एवो योवनावस्थामां आवो पहोच्यो एटले राणीये ते कुमारने योग्य एवी कन्यानी वात पोताना मंत्रीयोने पूछा. // 441 // ते वखते कोइये कडं के, पद्मनाभ नगरमां शिवराजाने वनमाली नामना रूपवनी पुत्रो छे. // 443 // तदैव प्रेषयामास, तदर्थे सा निजानरान् // पद्मनानपुरं गत्वा, ते शिवं तां ययाचिरे 443 तां प्राप्य लग्नं संस्थाप्य, ते निजं पुरमागताः॥ गौर्यै विज्ञापयामास, स्तत्सर्वं मत्सरोमिताः॥ ___ पछी तेज वग्वने राणी गौरीये ते कन्यानुं मागु करवा माटे पोताना माणसो मोकल्या. माणसोए पण पद्मनान्न नगरमां नड शिवराजा पामे तेनी वनमाला पुत्रानुं मागु कर्यु. // 443 // राजा शिवे ते कवुन करयु एटले लग्ननो दिवस नक्की करी ते उद्यमवंत माणसोये पोताना नगरे आवी गौरी राणीने सर्व वात कही. | Jun Gun Amachak Trust |

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