Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang
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________________ P.P.A. Gunnatnasuti M.S जाकएमा आश्चर्य शुं छे? कारण विषयोए वनवासमा रहेला विश्वामित्रादिकने पण स्त्रीयोना वेशमात्रने देखवामात्रमा छेतरी लीधा छे // 467 // अथवा निरंतर नागवत नामना पुराणमा सनिलीये छोयेके, नारदथी प्राप्त थयेला वैराग्यवाला प्रवृज्यामां तत्पर अने महा भुज पराक्रमी एवा प्रियवृत राजाए पण प्रवृज्या लीधा पछो राज्य भोगव्युं छे; वलो ते राजाना वंशने विषे अनुक्रमे पहेला श्री ऋषभदेव प्रभु थया छे.६९ चित्तं पुण्यगृहे स्थंनस्तञ्चेचलितमात्मनः // तत्कथं स्थिरतां याति, वाक्यपुर्बलदारुन्निः 470 पुण्यरूप घरनो चित्त ए स्थंभ छे, ते चित्तरूप स्थंभ पोतानो मेले खशी गयो तो वाक्यरूप पातला लाकडाना टेकाथी ते पुण्यरूप घर शी रोते उभुं रहो शके ? // 470 // हसतां रुदतां वायमतिथिः समुपागतः // हसनिर्गह्यते तर्हि, यनाव्यं तन्नवत्यथ // 471 // | चिंतयित्वेति सा राझी, पुत्रमाकारयत्तदा // तत्कणंस समायातो, मुनि नत्वा निविष्टवान् // हसो अथवा रुवो. परंतु आ परुणोतो आव्यो , तो पछी हसतांज तेने ग्रहण करोये; कारण जे थवानुं हशे तेज थाय छे. // 471 // आ प्रमाणे विचार करोने राणीये तेज वखते पुत्रने बोलाव्यो. पुत्र पद्म पण तुरत त्यां आवो मुनिने नमस्कार करी योग्य आसने बेठो. // 472 // मुनिःप्रोचे यदस्माकं, चित्ते तन्नवतां नहि // अन्यतो जायते बुबा, व्याहारा कियतेऽन्यतः // * अहिताय समायातस्तातः कातरतां गतः॥ इति चिंता न कर्तव्या, त्वया वत्स कदाचन USA पछी मुनिये कह्यु के, " जे अमारा मनमा छे ते तमारा मनमां नथो. ए एक तरफ वूम पडो अने वीजी तरफ दोडवा जेवू थयुं छे. // 474 // हे वत्स ! त्हारे " आ पिता कायरपणुं पामीने अमारा अहितने माटे आव्यो छे." एम चिंता क्यारे पण न करवी. // 474 // तपांसि कुर्वतो ज्ञानमुप्तनं मम सांप्रतम् // तेन झानेन विज्ञातं, नवतामसमंजसम् // 475 हितार्थ नवतां पृथ्वी, हलैः कृष्टामचिंतयन् // इहायातोऽस्मितत्सर्वैः श्रूयतां तत्वसंकथा H76 // 11 // Jun Gun Aaradhak Trust XXXXXXXXXXX

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