Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang
View full book text
________________ चरित्र PPC Guru MS KakkxxXXXXX - जिन पूजा करवाथी विशस्थानकोमा प्रथम भवतारक स्थान स्पर्श करेलुं छे. // 560 // हे पार्थिव ! तुं तीर्थकर समान त्रण प्रकारना कर्मवालो छे, जेथी तुं महाविदेह क्षेत्रने विषे तीर्थंकर थइ सिद्धि पामीश // 561 // // 116 // तदा सप्तदशाप्यते, सुता गणधरास्तव // नवितारस्तमोध्वंसे, सवितार श्वामलाः // 56 // ति श्रुत्वा मुनेर्वाक्यं, नूपतिःप्रीतमानसः॥ पुनःपप्रच संदेहमकं नृपशिरोमणिः // 563 // . ते वखते अज्ञानरूप अंधकारनो नाश करवामां सूर्यना सरखा निर्मल आ सत्तर पुत्रो त्हारा गणधर थव शे." ए प्रमाणे मुनिनां वचन सांभली प्रसन्न मनवाला राज शिरोमणि गुणवर्माए एक शंसय पूजयो के.॥५६॥ कथं सिंहलराजस्य, सुतात्र स्वयमागता // तधिवाहकृते तस्याः सचिवोऽपि ययौ चक्क 564 मुनिः प्रोवाच पार्श्वे साधिष्टाता व्यंतरस्तव // हितैषी कृतवान्सर्वमेतत् सुकृतशालिनः॥५६॥ ते सिंहलराजपुत्री आहिं एकली शी रीते आवी अने तेनो विवाह थया पछी तेनो प्रधान क्यां जतो रह्यो. मुनिए कह्यु. त्हारी पासे ते अधिष्टाय व्यंतर हतो तेणे हितेच्छुए पुण्यवंत एवा तने ए सर्व करयुं हतुं. // 565 // पूर्वजन्मानुरागेण, पूर्वजन्म प्रिया इमाः॥ चतस्त्रोऽपित्व प्रापुरधुनापि कलावताः // 566 // इति श्रुत्वा मुनि नत्वा, प्रमोदात् पृथिवीपतिः॥ सपुत्रसपरिवारो, जगाम निजमंदिरम् 567 . पूर्वजन्मना अनुरागथी पूर्व जन्मनी आ कलावाली चार स्त्रीयो हवणां तने प्राप्त थइ ने. // 566 // ए * प्रमाणे मुनिनां वचन सांभली अने तेमने वंदना करी गुणवर्या राजा हर्पथी पुत्रपरिवार सहित पोताना घरे गयो.॥ * नरवर्मापि धर्माधिसमुद्वेलनचंद्रमाः // विजदार सनीहारहारोज्वलयशानरः // 567 // .. काले कलाकलापज्ञाः, प्रज्ञा प्राग्नारतोऽनवन् // उपाध्यापस्य सानिध्यात्पुत्रास्ते गु गवर्मणः धर्मरुप समुद्रना वेलाने चंद्रमा समान अने वरफना हार सरखा उज्वल यशना समूहरूप नरवर्मा मुनि पण IS विहार करी गया. // 567 // पछी अवमरे उपाध्यायनी पासे अभ्यास करवाथी ते गुणवो राजाना पुत्रो बुद्धिना बहु योगथी कलाना समूहना जाण थया. // 569 // *116 //

Page Navigation
1 ... 234 235 236 237 238 239 240 241 242