Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang
View full book text
________________ PPA Gunnatasun MS - क्रमेण शैशवं हित्वाश्रितास्ते यौवनं वनम् ॥वधूवल्लीनिराश्लिष्टा, रेजिरे कल्पवृक्षवतपणा पश्चिमे रजनीयामे, गुणवर्मा नृपोऽन्यदा // नावनां नावयामास, स एव नवनाशनीम // _अनुक्रमे बाल्यावस्थान त्यजी दई यौवनावस्थारूप वननो आश्रय करी रहेला ते पुत्रो वारुपा लतानो * आश्रय करो रहेला कल्पवृक्षनी पेठे शोनवा लाग्या. // 570 // कोइ वखते रात्रीना पाछला पहोरे तेज गण वो राजा संसारनो नाश करनारी भावना भाववा लाग्यो. // 571 // नक्तं राज्यं चिरं जाता, पुत्राः पौत्रादिन्नित्ताः॥ संवृत्ता एव नात्येते, व्यापाराःपापदेता - नानिलैःपूर्यते व्योम, वारिधिः सलिलैर्न च // वन्हिस्तृप्यति काष्टैर्न, जीवो न विषयैस्तथा। . दीर्घकाळ राज्य भोगव्युं, पुत्रो पण पुत्रवाळा थया, ए सर्व एकठा थयेला पापना कारणरूप व्यापार Kel देखाय छे. // 572 // मांगिक्यांकमां कर्तुं छे के, जेम आकाश पवनथी पूरातुं नथो, समुद्र पाणोथोपरानो AXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX** Jun Gun Aaradhak Trust अभिरामा श्मा रामाः, कामासक्तैकचेतसाम् ॥शाम्यस्पृशा दृशा दृष्टाऽनिष्टा एव ताःपनी 2 यदि प्रातः समायाति, तातः केवलनास्करः // राज्यं पुत्रेषु विन्यस्य,तदा दोकामपाटापार कामथी अशक्त चित्तवाळाने आ स्त्रीयो मनोहर लागे छे, परंतु समभावने पामेला दृष्टिवाळाने दोटो ते स्वीयो अनिष्ट देखाय छे. // 575 // जो सहवारे केवलज्ञाने करोने सूर्यरूप पिता (नरवर्मा केवलो ) | आवे तो हुं पुत्रोने राज्य सौंपी तेमनी पासे दीक्षा लउं // 575 // एवं चिंतयतस्तस्य, प्रन्नात समयोऽनवत् ॥नेऽमंगलतूर्याणि, प्रोचुमंगल पाठकाः // 5 // यावत्तल्पं नृपो हित्वा, कृतप्रान्नातिकक्रियः // समायाति सन्नां तावदागत्यारामिको गणवर्मा राजा आ प्रमाणे विचार करतो हतो एवामां प्रभातसमय थयो, जेथा मंगळवार्जीत्रो वागवा लाया अने मंगळपाठको (मागध लोको) गावा लाग्या.॥ 576 // पछा जेटलामां शय्या सजी दर असे संबंधो सर्व क्रिया करी राजा सभामां आव्यो तेटनामां वागवाने आवोने तेने आ प्रमाणे काम त //

Page Navigation
1 ... 235 236 237 238 239 240 241 242