Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang

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Page 242
________________ चरित्र. // 11 // Jun Gun Aaradhak Trust .: चतुरशोत्यधिकेषु समा चतु-र्दश च तेषु गतेषु च विक्रमात् / / / अयमनूऊिनपूजनसत्कथा-समुदयः स करोत्विह मंगलम् // 3 // विक्रम संवत 1484 गया पछी आ जिनपूनना सत्तर प्रकारनी कथानो समूह रचेलो छे. ते आ पृथ्वीने विषे सर्वनुं मंगल करो. // 3 // श्री वर्धमान जिनन्नवन-नूषिते रचित एष सत्यपुरे // ग्रंथः श्रीमउपाध्याय-धर्मनंदनविसिष्टसानिध्यात् // 4 // - श्री वर्धमान स्वामीना मंदिरथी सुशोभित एवा सत्यपुरने विषे श्री उपाध्याय धर्मनंदना समिपपणाथी रच्यो छे. // 4 // माणिक्यांकश्चतुप:, शुकराजकया तथा // पृथ्वीचंश्चरित्रं च, ग्रंथा एतेऽस्य बांधवाः // 5 // श्री माणिक्यांक, चतुरपूर्वी तेमन शुकराजनी कथा अने पृथ्वीचंद्रनुं चरित्र ए आ ग्रंथना बांधवो छे. अ र्थात् ते सर्वेना धनावनार श्री माणिक्यसुंदरसूरि एकज छे. // 5 // यावत्मेरु महिर्यावद्यावश्चंद्रदिवाकरौ // वाच्यमानौ जनैस्तावत्, ग्रंथोऽयं नुवि नंदतात् // 6 // ज्यांमधी मेरु, पृथ्वी, सूर्य अने चंद्र छे त्यांसूधी माणसोथी वंचातो आ ग्रंथ पृथ्वी उपर विस्तार पामो.॥६॥ मंगलं सर्वसंघाय, कर्त्रे नवतु मंगलम् // व्याख्यायकेन्यो मांगल्यं, श्रोत्रे नवतु मंगलम् 7 सर्व संघने मंगल हो, कर्ताने मंगल हो, व्याख्यानकर्ताने मंगल अने सांभलनारने पण मंगळ हो. // 7 // // इति प्रशस्ति // P.P.A. Gunratnasuti M.S

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