Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang

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Page 235
________________ PPA nandsut MS कोई वखते रत्नसिंहे पण पोताना पुत्र रत्नप्रियने राज्य सोंपी पोते तेज गुरु पासे चारित्र लीधुं. // 554 // पछी निरतिचार श्रेष्ट उज्वल चारित्रने पाली अंते अनशन लइ सौधर्म देवलोकमां गयो. // 555 // चिरं सुखान्यसौ नुक्त्वा, देवलोकात्ततच्युतः // राजन सागरनामानुत्पुत्रः सप्तदशस्तव // (श्रो नरवर्मा केवली गुणवर्मा राजाने कहे छे के,).त्यां ते दीर्घकाल सुख भोगवोने पछी चबाने हे राजन् त्हारो सागर नामनो सत्तरमो पुत्र थयो जे. // 556 // // इति नाट्यपूजायां धीरकथा // Jun Gun A | एवं सप्तदशाप्येते, सुतास्ते शैशवादपि // जातिस्मरणमापन्ना, दृष्टे पार्श्वे जिनालये // 55 // श्री नरवर्मा केवली गुणवर्माने कहे छे के, ए प्रमाणे ते आ रहारा सत्तर पुत्रो पोतानी पासे जिनालय देखवाथी बाल्यावस्थाथी आरंजी आतिस्मरण ज्ञान पामेला छे. // 557 // तेन स्तन्यमपि प्रायो, न पिवंति विचक्षणाः // यावन्नमंति न पार्श्वदेव मेते प्रगे मदा UP प्रवईमानाः सर्वेऽमि, जिनन्नक्तिमनोहराः॥ विशेषतो नविष्यंति, जलसिक्ता माश्चा . ते कारणथी ज ते विचक्षण पुत्रो ज्यां सुधी सवारे पार्श्वनाथने नमन करता नथो त्यां सुधी घणं करीन नपान पण करता नथो. // 558 // आ बुद्धि पामता सर्वे पुत्रो जलथो सिंचन करेला वृक्षोनी पेठे विशेपे जिन भक्तिथो मनोहर एवा थशे. // 559 // जिनपूजाविधानेन, नवता नवतारणम् // विंशतिस्थानकेष्वाद्यं, स्थानं स्पृष्टं विन्नाव्यताम तीर्थकृत्समकासी, त्रिविधं तेन पार्थिव ॥जिनो महाविदेहेषु,नूत्वात्वं सिध्मिाप्स्यसि॥५६१॥ nak Trust

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