Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang
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________________ चरित्र. P.P.A. Gunratnasuti MS - पछी मंत्री अने राणी ए वन्ने जणाए मुनिनी क्षमा मागी. कारण के हितकारीना चित्तमां हितज होय छे, माटे चिंतितकार्यने दूर करो. // 483 // पछी मुनि पोताने आश्रमे गया एटले तेओ पण पोताना घरे गया. // 11 // परी प्रधाने ते शिवराजाने वनमालानी वात पूछीने जाणी, तेथो तेओ सौ चमत्कार पाम्या. // 48 // ततःसा चलिता सैन्यसहिता नगरानतः // प्राय शंकरराजर्षिसंश्रितं वनमंतरा // 45 // सात्र तातं निजं ज्ञात्वा, ववंदे सपरिचदा // प्रमोदाश्रुपरिव्याप्तमाननेत्रध्या रयात् // 486 // पी वनमाला पण त्यांथी सैन्यसहित चाली निकली अने शंकर राजर्षि ज्यां रहेता हता त्यां वनमा a आवी पहोची. // 485 // हर्षना आंसुथी व्याप्त नेत्रबाली ते वनमालाए त्यां पोताना पिताने जाणीने लेमने A परिवार सहित वेगथी वंदना करी. // 486 // | तपस्विना बन्नाषेसा, तपोग्रहणहेतवे // नानुमेने च सा बंधुजननोसंगमोत्सुका // 487 // ततस्तेन विसृष्टा सा, ययौ रत्नपुरं पुरम् // अन्यायातप्रसूवंधुप्रोणिता सौधमागता // 4 // तपस्वीये तेने तप आचरवानो बहु आग्रह करयो, पण बंधु अने माताने मलवा माटे नत्साहवाली वनमा लाए ते कबुल करयो नहीं. // 487 // पछी तपस्वी शंकर राजर्षिए रजा आपवाथी ते वनमाला रत्नपुर नगरे 25 गइ. त्यां सामा आवेला बंधु अने माताए प्रसन्न करेली ते राजमहेलमा गइ. // 488 // वरेषु चिंत्यमानेषु, तद्योग्येष्वन्यदा मुदा // बांधवस्यांतिकं प्राप्ता, सन्नायां सा सुलोचना // समुद्रमंत्रिणःपुत्रः सागराख्यः सरागधीः॥ संपूर्णयौवनामेतां दृष्ट्वा चित्ते व्यचिंतयत् // 4 // ____ माता अने बंधु ते वनमालाना योग्य वरनो विचार चलावता हता, एयामां कोइ वखते ते सुंदर नेत्रवाली पोताना बंधुनी पासे सभामां गइ. // 489 // आ वखने संपूर्ण यौवनवाली ते कन्याने जोइ रागवंत थयेलो | समुद्र मंत्रीनो पुत्र सागर पोताना चिंत्तमा विचार करवा लाग्यो. // 490 // XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust X|111 //

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