Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang
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________________ PPA Gun MS तप करता एवा मने हवणां ज्ञान उत्पन्न थयुं छे, अने ते ज्ञानथी में तमारुं अकल्याणकारी कार्य जाण्यं छे. / 479 // तमारा हितने माटे आ हलथी खेडायली पृथ्वीनो विचार न करतां हुं अहिं आव्यो ढुं, माटे तमे सौ तत्व वात सांभलो. // 476 // * या बाला वनमालाख्या, याचिंता शिवनूपतेः॥ ज्ञायतां ननु सामुष्य, सुतस्यैव सहोदरी // पित्रोः संगमसोत्कंग, पुत्रमाता तदाचलत् // प्राप्तायामटविमस्यां, निल्लधाटी समापतत् // तमे शिवराजा पासेथी जे वनमाला कुमारीनी मागणी करी छे, ते निश्चे आ पद्मकुमारनी व्हेन थाय छे. तेम जाणो. // 477 // पिताने मलवानी उत्कंठावाली आ पुत्र पद्मनी माता जती हती एवामां रस्ते प्राप्त थ. येला अरण्यमां ओचिंती भिल्लोनी धाड पडी.॥ 78 // नष्टा पलायमानेयं, पुत्री तत्रैव विस्मृता // शोधितापि न सा लब्धा, पितुर्गृहमियं ययौ / तदा तां पतितां तत्र, पद्मनान्नपुराधिपः // मृगयार्थं समायातः शिवो दृष्ट्वाग्रहोऽतम् // 4 // राणी त्यांची नासीने जती रही अने पुत्रीने त्यां भूली गइ. पछी त्यां बहु वखत शोध करी पण ते पत्री A जडी नहीं एटले ते (आ राणी) पिताने घेर गइ // 7 // // पछी ते वखते त्यां पद्मनाभ पुरनो राजा शिव मगया * रमवा आव्यो, तेणे ते पुत्रीने त्यां पडेली जोइ तुरत लइ लीधी. // 480 // Ik अनपत्येन तेनेयं, गत्वा पत्न्यै समर्पित // वने लब्धेति सावईनमालारख्यया सुखम् 181 शति स्वरूपं विझाय, कार्य कार्य यथोचितम् // आशीर्वचोऽस्तु पुत्राय, वयं यामो निजाश्रम * पुत्र रहित एवा ते राजाए घरे जइ ते पुत्री पोतानी स्त्रीने आपी, पछी वनमां प्राप्त थवाथी वनमाला KE नामनी ते पुत्री सुखे वृद्धि पामवा लागी. // 481 // आ प्रमाणेनी वात जाणीने हवे तमारे योग्य मार्ग पुत्रने आशिर्वाद हो, अने हवे अमे अमारा आश्रमे जइशें. // 482 // / मनिं मंत्रोच राझीच, दमयामासतुस्ततः॥ हितस्य हित चित्तेऽस्ति, चिंतितं हन्यतामिति अथ गते मुनौ तत्र, तेऽपि मंदिरमागताः // सचिवेन शिव प्रष्टे, ज्ञातवृताश्चमत्कृताः। un Gun A chat Trust

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