Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang
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________________ P.P.A. Gunratnasuti MS मुनिः प्रोवाच किं नागात्पद्मः किं वारितस्त्वया // अहं स्वरूपं जानामि, तवास्य सचिवस्य च श्रुत्वेति राझी मंत्री च, किंचिघीय परस्परम् // निश्चयं चक्रतुस्तस्य, चिंतितस्यैव मानसे // मुनिये कयु. “पद्म केम न आव्यो ? अथवा शुं तें वारी राख्यो छे ?" हुं त्हारी अने आ प्रधाननी सर्व वात जाणंठं // 461 // शंकर राजर्पिनां आवां वचन सांभलो राणी अने प्रधान ए वने जणाये कांडक एक वीजा सामु जोइ पोताना मनमां मुनिना चिंतवेला कार्यनो निश्चय करयो. / / 462 // | राझी बन्नाषे वः पुत्रः, सांप्रतं परिणेष्यते // ततो विवाहसामग्रो जायतेऽद्य महोद्यमात् // अस्य चिंता गले क्षिता, नवनियाल्प एवहि // ततस्तेनैव सा कार्या, कस्तस्यान्यःकरोति ताम् ____ पछी राणीये कह्यु के, “हवणां तमारो पुत्र परणवानो छे, माटे आजे वहु उतावलथी विवाहनो सामग्री थाय छे. // 463 // तमे बालक एवा ते पुत्रना गलामां चिंता नाखो छे, तो पछो तेने ते चिंता करवीज पडे, कारण तेनी चिंता बोजो कोण करे? // 464 // शिरो धुन्वन्मुनिःप्रोचे, चिंतयालं त्वयाधुना // यददं वच्मि तञ्चिते, चिंततां नान्यथाशनम राको दध्यौ ध्रवं चित्तमस्य राज्यानिलाषुकम् // दत्ते श्रापमयि क्रुश्स्ततौ नवति किं शुन्नम॥ पछो मुनिये माधुं धुणावतां कयु के, " त्हारे हवणां ए चिंता करवानी काइ जरुर नथो. हं तने जे को सनिमारण करनहितो अशुभ थशे.॥ 5 ॥राणो विचार करवा लागी के,"निश्चे आ राजपिन चित्त राज्यनी इच्छा करे छे; परंत जो तेमने राज्य नापीये तो ते क्रोधथी थाप आगे नोलोजी पणुं शुभ शुं थाय? // 466 // किंचित्रमत्र चेष्ठिश्वामित्राद्या अपि वंचिताः॥ विषयैर्वनवासेऽपि वनितावेषवीक्षणे॥४६॥ यहा नित्यं पुराणेपि, श्रुतं नागवतान्निधे // नारदात्प्राप्तवैराग्यः, प्रवृज्यायां परायणः / प्रियवृतनृपो राज्यं, बुन्नुजे तुजविक्रमी // तदंशे च क्रमेणानुक्षनः प्रथमो जिनः // usum Jun Gun Aaradhak Trust

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