Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang
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________________ PPA Gunarasut MS __हस्तिनागपुरमा धनदत्त नामनो शेठ हतो, तेने शंख नामनो पुत्र हतो. तेणे गीतपूजा करी छे. // 237 // * शंखना जीवरूप तने आ भवमा गीतपूजाना प्रभावथी आ ऋद्धिवंत राज्य मल्युं छे. वली गीतपूनाना विशेषप णाथी आ गीत सफलपणुं पाम्युं छे. // 238 // . गीताजंधर्वमालाला, गीतादश्यो गजः कृतः॥अनंतफलमित्याहुर्जिनगीतार्चनं जिनाः॥२३९॥ इंद गीतप्रियः श्रुत्वा, तदा जातिस्मृरोऽनवत् // विशेषादाईतं धर्म, प्रपेदे गुरुसंनिधौ 250 // तेन गीतथी गंधर्वयाला प्राप्त थइ, गीतथी हाथीने वश्य करयो, माटे निनेश्वरे गीतपूजन अनंत फलवारों * कयुं छे. // 23 // // गीतप्रिय आ सर्व सांभलीने ते वखते जातिस्मरण ज्ञान पाम्यो, तेथी तेणे गुरुनी पासे वि शेषे अरिहंतधर्म अंगीकार करयो. // 240 // | मुनि नत्वा गृहं गत्वा. पालयित्वा चिरं नुवम् // पत्न्यां गंधर्वमालायां, पुत्र सोममजीजनत् पुनःप्राप्तेषु तेष्वेव, सूरींचु नरेश्वर // श्रुत्वोपदेशं संप्राप, वैराग्यं पापनाशनम् // 252 // ___मुनिने वंदना करी, घरे जइ अने दीर्घकाल सुधी पृथ्वीनु पालन करी गंधर्वमाला स्त्रीने विषे सोम नामना पुत्रने पाम्यो. // 241 // वली तेज सूरि वीजीवार आव्या एटले राजा तेमनो उपदेश सांभली वैराग्य पाम्यो.२४२ ततो राज्यं स्वपुत्राय, महोत्सवपुरसरम् // दत्वा गुरूणां पाश्वेऽसौ, चारु चारित्रमग्रहीत् // | प्रपाल्य निरतिचारं, सारं संयममुज्वलम् // विहितानशनःप्रांते, सौधर्मे त्रिदशोऽन्नवत् // पछी पोताना पुत्रने महोत्सवपूर्वक राज्य आपो ए गीतपिय राजाए गुरु पासे उत्तम ए, चारित्र लोधुं. अतिचार IAS रहित, उत्तम तथा उज्वल एवां चारित्रने पाली अने अंते अनशन लइ ते गीतप्रिय मौ धर्मदेवलोकमां देवता थयो. चिरं सुखान्यसो नुक्त्वा, देवलोकाततश्चयुतः॥ पूर्णः पंचदशोजातस्तनयस्तव नूपते॥श्व५॥ (श्री नरवर्मा केवली गुणवर्मा राजाने कहे छ के,) हे भूपति ! ए गीतप्रिय त्यां बहु काल सुख भोगवी अने पछी ते देवलोकथी चवीने त्हारो पूर्ण नामनो पंदरमो पुत्र थयो छे. // 245 // - // इति गीतपूजायां शंख कथा // askXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust

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