Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang

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Page 214
________________ PPA Gunst MS साम्राज्यं कुर्वतस्तस्य, प्रजापालनशालिनः // वत्साराणां सहस्त्राणि, नित्यं सुखमयान्यगुः॥ चरिर अन्येास्तत्र संप्राप्ता, मुनिचंज्ञख्यसूरयः॥ तानंतु सपरीवारो, जगाम पृथिवीपतिः // 350 // 10 // ____ प्रजानु पालन करवावाला ते राजा राज्यने करता छता सुखमयमा हजारो वर्षों चाल्यां गया. // 389 // कोई वखते त्यां मुनिचंद्रसूरि आव्या. तेवारे राजा परिवार सहित तेमने वंदना करवा गयो. // 39 // नत्वा श्रुत्वोपदेशं च, पप्रच स्वन्नवं गुरुन् // ते प्रोचिरे पुरस्तस्य, नगरे हस्तिनापुरे // 31 // श्रेष्ठिनो धनदत्तस्य, धर्मनामानवत्सुतः॥ पूजायां क्रियमाणायां, वाद्यपूजा कृतामुना ३ए। ____त्यां तेणे गुरुने नमस्कार करी उपदेश सांभली पोतानो भव पूछयो एटले गुरुए कह्यु के, " हस्तिनापुर नगरमां // 391 // धनदत्त शेठने धन नामनो पुत्र हतो. पूजा करतां छतां तेणे वाद्यपूजा करी हती. // 392 // जिनपूजाप्रत्नावण, प्राज्यं राज्यमिदंतव // वाद्यार्चनविशेषात्ते, तदानाहतवाद्यता // 393 // | श्वं पूर्वनवं श्रुत्वा, नृपो प्राज्यस्मरोऽन्नवत् // विशेषादर्हतधर्म, प्रपेदे गुरुसन्निधौ // 3 // ते जिन पूजाना प्रभावथी आ भवमां तने उत्तम राज्य मल्यु; तेमज बाद्यपूजाना विशेषपणाथी ते वखते - अनाहतवाद्यपणुं प्राप्त थयु. // 393 // ए प्रमाणे पूर्वभव सांभली राजा जातिस्परण ज्ञान पाम्यो, तेथी तेणे गुरुपासे विशेष अरिहंत धर्म अंगीकार करयो. // 394 // a गुरुन्नत्वा ग्रहं गत्वा, चिरं राज्यं स पालयन् // तनुजं नानुनामानं, पट्टदेव्यामजीजनत् ३ए। समये सूनवे राज्यं, दत्वा वैराग्यसन्नृतः // तेषामेव गुरूणांस, पार्श्वे संयममाददे // 396 // पछी गुरुने नमस्कार करी घरे जइ दीर्घकाल पर्यंत राज्यनु पालन करता तेने पट्टराणीथी भानु नामना As पुत्रने पाम्यो. पछी अवसरे पुत्रने राज्य आपी वैराग्यवंत एवा ते राजाए तेज गुरु पामे चारित्र लीधुं. // 396 / / प्रपाल्य निरंतिचारं, चारु चारित्रमुज्वलम् // वाहितानशनः प्रांते, सौधर्मे त्रिदशोऽन्नवत् // चिरं सुखान्यसौ भुक्त्वा, देवलोकात्ततश्च्युतः॥ षोमशःसोमनामासौ, तनुजस्तवनूपते 3 1050 RXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXKX Jun Gun Aaradhak Trust

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