Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang

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Page 215
________________ P.P.A. Gunratnasuti MS अनुक्रमे अतिचार रहित उन्मल उत्तम चारित्रने पाली अंते अनशन लइ ते राजा सौधर्मदेव लोकपां देव ता थयो / / 397 // (श्री नरवमो केवलो गुणवर्मा राजाने कहे छे के,) हे राजन् ! पछी त्यां बहु काल सुख भोगवी चलो ते त्हारो आ सोम नामनो सोलमो पुत्र थयो छे. // 398 // // इति वाद्यपूजायां धर्मकथा // नाट्यपूजा कृताये न, फलं तस्य निगद्यते // पुरं पृथ्वीप्रतिष्टानं, महाराष्टेषु विद्यते॥३९॥ * बनूव जयदेवाख्यस्तत्र नूपतिकुंजरः॥ करेणुक्यानित्नातस्यानूऊयश्री सुवञ्जना // // जेणे नाट्यपूजा करी छे, तेनु कहेवाय छे. महाराष्ट्र देशमा पृथ्वीप्रतिष्टान नामर्नु नगर छे. // suum सां राजाभोमां हस्तिसमान जयदेव नामनो राजा हतो. तेने हाथणीममान जयश्री नापनी स्त्री हती. // 400 // तनुजो धनदत्तस्य, धोरस्तत्कुदिमागतः॥ समये स तया जातः, पिताश्चके महोत्सवम् 401 रत्नसिंहारख्या सोऽयं, वईमानो दिने दिने // कलाकलापकौशल्यशालो तारूण्यमासदत 402 हवे धनदत्तनो पुत्र धीर ते जयश्रीना उदरमां आव्यो, अवसरे तेने जन्म आप्यो अने पिताए महोत्सव करचो. // 401 // रत्नसिंह नामनो ते कुमार दिवसे दिवसे वधता छतो कलाना समूहनो जाण थड युवावस्था पाम्यो. // 40 // धरणीधरन्नपस्य, धारिणीकुक्षिसंनवा // रमति कन्या तेनोढा, रेमे च स तया सह // 4 // 3 // अन्यदा रत्नसिंहस्य, रत्नपल्यंकशायिनः // निशोथसमये निश, नेत्रतो दूरतां गता HDH धरणीधर राजानी स्त्री धारिणीना उदरथी उत्पन्न थयेलो रमा नामनी कन्याने परणीने ते प र स्त्रीनी माथे क्रीडा करवा लाग्यो. // 403 // कोइ वखते रत्ननी शय्यामां सूतेला रत्नसिंहनां नेत्रमाथी अधि रात्री वखते निद्रा जती रही. // 40 // Jun Gun Aaradhak Trust

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