Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang

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Page 216
________________ चरित्र गुण 12 // PPA Gurut MS सोऽथ जागरितोऽश्रीसोनाट्यध्वनिममंदधोः // मृदंगादिकवादित्रगोतगानमनोहरम् // 305 // रणनूपुरऊकारघर्घरीघोषबंधुरम् // नल्लसन्मेखसादामकिंकणी कंकणक्वणम् // 406 // . ___ पछी जागी गयेला त उत्तम बुद्धवाला कुमारे मृदगादी दाजींत्रोना शब्दोथी अने गीत गानथी मनोहर शब्दायमान थता मांझरना झंकार अने घुघर्गोथी मनोहर तेमज उच्छलती मखलानो घुघरीयोना शब्दवाला नाट्यशब्दने सांभल्यो. // 406 // श्रुत्वेति दध्यिवानेष, स धन्यो यस्य कस्यचित् // पुरतो जायते नाट्यमिदमाश्चर्यकारणम्॥ नत्याय तल्पतः सैष, गवाक्षादिषु वोक्षराम् // चकार चतुरस्तेनादिप्तचेताः पुनः पुनः 408 ____आवा नाट्यने सांभलो रत्नसिंह कुमार विचार करवा लाग्या के, “जेनी कोइ पुरुषनी आगल आवं आश्चर्यकारी नृत्य थाय छे तेने धन्य छ. // 407 // पछी शय्यामाथी उठीने गोख विगेरेमा चतुर एवा ते कुमारे वारंवार आम तेम जोयु. // 408 // परं ददर्श नक्कापि, केवलं तद्वनिःश्रुतः // असौ विचिंतयामास, किमिदं कौतुकं महत् // अश्वप्लुतं यथा जायमानं श्रूयेत निश्चयः॥ परं न शक्यते कर्तुः कुतश्चिन्नवतोत्यदः // 410 // परंतु कोइ ठेकाणे नाट्य दिठं नहि, पण तेनो शब्द मांभल्यो तेथी ते कुमार विचार करवा लाग्यो, "अ. हो! आ कांड म्होटुं आश्चर्य छे ?" // 409 // जेवी रीते अश्वप्लुत थतो निश्चे संभलाय छ, पण तेवो करवा समर्थ थवातुं नथो तेम आ नाट्य क्यांइ पण थाय छे. // 410 // पाताले नूतले वापि, गिरौ वा गगनेऽपिवा // अन्यत्र वा नवेत्कापि, नृत्यमेतन्मनोहरम् // कर्णयोर्जायतेहर्षे, नाट्यस्य ध्वनितःश्रुतेः॥ तस्यावीक्षणतः किंतु, खेद्यते नेत्रयोर्युगम् 412 पातालमां, पृथ्वी उपर, पर्वत उपर, आकाशमां अथवा वीजे कोइ ठेकाणे आ मनोहर नृत्य थाय छे. // नाट्यनो शब्द सांभलबाथी बन्ने कानने हर्ष थायछे अने ते नाट्यने न जोवाथी बन्ने नेत्रने खेद थाय छे / / 412 // *****XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Awacha Trust 16 //

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