Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang

View full book text
Previous | Next

Page 197
________________ PPA Gunratnasuti MS अद्यियामे नृपादेशात्प्रोचुः पट्टहदायकाः // स एकं लन्नते लदं,यः पूरयति दोहदम्॥५५॥ * यामे हितीये घस्त्रस्य, पोचुः पट्टददायकाः // हे लदे लन्नते सैष, यः पूरपति दोहदम् 556 दिवसना पहेला पहोरने विषे राजाना हुकमथी पट्टह वगाडनाराओए कह्यु के, “जे माणस राणोना दोहदने पूरण करशे ते एक लक्ष धन पामशे." // 255 // दिवसना बीजा पहोरने विषे पट्टह वगाडनारायओए कह्यु A के, “जे माणस राणीना दोहदने पूरण करशे, ते वे लक्ष धन पामशे." // 256 // * एवं तृतीयतर्यादियामेषु जगतीपतेः // आदेशावईयामासुलेकमेकं नराः क्रमात् // 27 // षड्लक्षामपि जातायां, निशीथसमये ततः // नास्पृशप्तटहं कोऽपि, देव्यासीदाकुला पुनः॥ एवी रीते त्रीजा चोथादि प्रहरने विषे राजाना हुकमथी पट्टह वगाडनारा पुरुषोए अनुक्रमे एक एक लक्ष * धन वधारयु.॥ 257 // पछी अर्धी रात्रीये छ लक्ष धन थयु, पण कोइये पट्टहने स्पर्श करयो नहि, जेथी बस यशोमति आकुल व्याकुल थवा लागी. // 258 // राज्याई कमतः पुत्र्यां, प्रोक्तायां च नृपाझया // अस्पृशत्पटहं विप्रः, क्षिप्रमागत्य कश्चन२५॥ विनातायां वीन्नावर्या, ददृशुस्ते नरा द्विजम् // कुरूपं कुत्सितं कुब्ज, कृष्णवर्णं च वामनम् // ___अनुक्रमे पट्टह वगाडनाराओए राजानी आज्ञार्थी अधु राज्य भने राजकन्या आपवानो पट्टह वगाडयो.. जेथी कोइ ब्राह्मणे तुरत आवीने पट्टहने स्पर्श करयो. // 252 // पछी प्रभात थयो एटले ते पुरुषोए करूप, खराब, कुब्ज, कृष्णवर्ण अने वामन एवा ते ब्राह्मणने दीठो. // 26 // विज्ञातपटहस्पर्शवृत्तांतप्रीणिते नृपे // नृपस्य पुरुषा विप्रं, निन्यिरे नृपसंनिधौ // 26 // विषमचेताः सर्वोऽपि, तं विलोक्यान्नवजनः // नृपतिस्तु विशेषेण, तेन देयास्य यत्सता . राजा पट्टहने स्पर्श करयानी वात सांभली प्रसन्न थयो. पछी राजाना पुरुषो ते ब्राह्मणने राजसभामा - ड गया. // 261 // ते ब्राह्मणने जोइ सर्वे माणसो खेद पाम्या अनं राजातो वधारे खेद पाम्यो. कारणले तो तेने पुत्री आपवी हती. // 262 // KKXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242