Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): Maganlal Hathishang
Publisher: Maganlal Hathishang

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Page 190
________________ गुणा चरित्र // 22 // PP.AC.Gunratnasun M.S. ____चंपकमाला उपर रहेलुं सुवर्णमय भ्रमररूप करीने योग्य एवं वचन ते कन्याना योगथोज में कहेलुं छे. // 199 // तुं म्हारी साथे चाल, जेथी क्षणमात्रमा त्यां लइ जइ ते कन्यानो हस्तमेलाप म्हारा मित्र एवा हारी साथे करावं. // 20 // * कारणं समवाप्यात्र, त्वगुणा एव बंधुराः // निमित्तं पुनरेषोस्मि, तदीवाहविधावहम् // 201 // मदीयकांतया तस्याः, स्वस्त्रा नैमित्तिकोत्तमः॥ पृष्टः प्रोवाच तद्योग्यं, वरं नूचरमेव हि // ____ अहिं उत्तम एवा त्हारा गुण एज कारण पामोने वली आ हुं पोतेज त्हारो विवाहविधिमां निमित्त कुं. / // 201 // ते गंधर्वमालानी बहेन के, जे म्हारी स्त्री थाय छे, तेणे ( कनकमालाए) कोइ उत्तम निमित्तियाने पूछयु एटले तेणे निश्चे तेने योग्य एवो मनुष्यज पति थवानुं कहुं छे. // 20 // एतेनाप्यनुमानेन, सा कांता ते नविष्यति // मा शंकिष्टाः प्रयासस्य, वैफल्यं हृदये निजे॥ इत्युक्त्वा हंसरूपेण, तमारोप्य निजोपरि // असौ स्वयंवरं प्राप्तोऽस्थापयत्तं च विष्टरे // 204 * आ अनुमानथी ते त्हारो थशे. वली पोताना हृदयमां आ प्रयासर्नु निष्फलपणुं शंकोश नहि. // 203 // a एम कहीने हंसरूप धारण करी ते विद्याधर पोतानी पीठ उपर तेने बेसारी ए स्वयंवरमां आव्यो अने ते गीत प्रियने सिंहासन उपर बेसारी दीयो० // 20 // खेचरेषु समग्रेषु, विरेजे तत्र सोऽधिकम् // प्रस्फुरत्कांतिसंन्नारस्तारकेष्विव चश्मा // 205 // * गंधर्वमाला बित्राणा, वीणां वामकरे निजे // मालां च दक्षिणे पाणी, स्वयंवरमथाययौ५०६ तारापोमा देदीप्यमान कांतिवाला चंद्रभानी पेठे यां ते गीतप्रिय सर्व विद्याधरोमां अधिक शोभवा लाग्यो. // 205 // पछा पोताना डावा हाथमां वीणा अने जमणा हाथमां वरमालाने धारण करती एवी गंधर्वमाला स्वयंवरमां आवी. // 206 // प्रतीहारी जगादेति, नो नो शृणुत खेचराः॥ कन्या प्रतीझा श्लोकं च, पपारेति मनोझवाक्॥ विजेष्यते यो वीणायां, गीतगानेऽपि मां नरः // खेचरो वा परोवास्तु, वरणोयः स एव मे // Jun Gun A cha Trust XXXXXXXXXXX ETIT P

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