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गुणस्थान विवेचन असंख्यात आवली होती हैं। एक आवली+एकसमय यह जघन्य अंतर्मुहूर्त है।
उत्कृष्ट अंतर्मुहर्त से एक समय कम और जघन्य से एक समय अधिक ऐसे मध्यम अंतर्महर्त अंसख्यात होते हैं।
८२. प्रश्न : मुहूर्त किसे कहते हैं ? उत्तर : (दो घड़ी)अड़तालीस मिनिट को मुहूर्त कहते हैं। ८३. प्रश्न : पूर्व किसे कहते हैं ? उत्तर : ७० लाख ५६ हजार करोड़ वर्ष काल को पूर्व कहते हैं। ८४. प्रश्न : सागर किसे कहते हैं ? उत्तर : दस कोड़ाकोड़ी अद्धापल्योपम काल को सागर कहते हैं। ८५. प्रश्न : असंख्यात किसे कहते हैं?
उत्तर : संख्यातीत कल्पित राशि में से एक-एक संख्या घटाते जाने पर जो राशि समाप्त हो जाती है, उस राशि को असंख्यात कहते हैं।
. जो संख्या पाँचों इन्द्रियों का अर्थात् मति-श्रुतज्ञान का विषय है, उसे संख्यात कहते हैं।
• अवधिज्ञान और मन:पर्ययज्ञानगम्य संख्या को असंख्यात कहते हैं। • जिसकी गिनती न हो सके, उसे असंख्यात कहते हैं। •संख्यातीत राशि को असंख्यात कहते हैं। ८६. प्रश्न : अनंत किसे कहते हैं ? उत्तर : असंख्यात के ऊपर केवलज्ञानगम्य संख्या को अनंत कहते हैं।
नवीन वृद्धि न होने पर भी संख्यात या असंख्यातरूप से कितना भी घटाते जाने पर जिस संख्या का अंत न आवे, उसे अक्षय अनंत कहते हैं ।
(• जिस संख्या का अन्त आ जाये, उसे सक्षय अनंत कहते हैं।) ८७. प्रश्न : समुद्घात किसे कहते हैं ?
उत्तर : मूल शरीर को न छोड़कर तैजस-कार्माणरूप उत्तर देह के साथ जीव-प्रदेशों के शरीर से बाहर निकलने को समुद्घात कहते हैं।
८८. प्रश्न : समुद्घात कितने और कौन-कौन से हैं?
उत्तर : समुद्घात सात प्रकार का होता है - वेदना, कषाय, विक्रिया, मारणान्तिक, तैजस, आहारक और केवली समदघात ।
८९. प्रश्न : केवली समुद्घात किसे कहते हैं ? उत्तर : अपने मूल परम औदारिक शरीर को छोड़े बिना आत्म-प्रदेशों
महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर के दण्डादिरूप होकर शरीर से बाहर फैलने को केवली समुद्घात कहते हैं।
९०. प्रश्न : केवली भगवान के समुद्घात क्यों होता है ?
उत्तर : आयुकर्म की स्थिति अल्प हो और शेष तीन अघातिया कर्मों की स्थिति आयु की अपेक्षा अधिक होने पर, अन्य तीन कर्मों की स्थिति आयुकर्म के समान अंतर्मुहूर्त करने के लिए केवली भगवान के समुद्घात होता है।
९१. प्रश्न : मारणान्तिक समुद्घात किसे कहते हैं ? .
उत्तर : मरण के अंतर्मुहूर्त पूर्व नवीन पर्याय धारण करने के क्षेत्र को स्पर्श करने के लिए आत्मप्रदेशों के बाहर निकलने को मारणान्तिक समुद्घात कहते हैं। जिन्होंने परभव की आयु बांध ली है, ऐसे जीवों के ही मारणान्तिक समुद्घात होता है।
९२. प्रश्न : अनादि मिथ्यादृष्टि जीव किसे कहते हैं ?
उत्तर : अनादिकाल से आज पर्यंत जिस जीव ने मिथ्यात्व का नाश नहीं किया अर्थात् सम्यक्त्व की प्राप्ति नहीं की ऐसे जीव को अनादि मिथ्यादृष्टि जीव कहते हैं।
९३. प्रश्न : सादि मिथ्यादृष्टि जीव किसे कहते हैं ?
उत्तर : एक बार सम्यग्दर्शन प्रगट हो जाने पर भी पुन: पुरुषार्थहीनता से मिथ्यात्वी हो जानेवाले जीव को सादि मिथ्यादृष्टि जीव कहते हैं।
९४. प्रश्न : योग किसे कहते हैं ?
उत्तर : कर्मों के ग्रहण में निमित्तरूप जीव के प्रदेशों की परिस्पन्दनरूप पर्याय को योग कहते हैं।
९५. प्रश्न : योग के कितने भेद हैं ? उत्तर : योग के दो भेद हैं - १. भावयोग, २. द्रव्ययोग । ९६. प्रश्न : भावयोग किसे कहते हैं ?
उत्तर : कर्म-नोकर्म के योग्य पुद्गलमय कार्मण वर्गणाओं को ग्रहण करने में निमित्तरूप आत्मा की शक्तिविशेष को भावयोग कहते हैं।
९७. प्रश्न : द्रव्ययोग किसे कहते हैं ?
उत्तर : भावयोग के कारण से आत्मा के प्रदेशों का जो सकम्प होना, सो द्रव्ययोग है।
९८. प्रश्न : अन्य अपेक्षा योग के कौन-कौनसे और कितने भेद हैं ?