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विया रे लोल ॥ ५ ॥ बेनी वधावो श्री जिनराज, करो नित्य जामणां रे बोल || बेनी गार्ड मंगल गीत के, खीजें वारणां रे बोल ॥ ६ ॥ बेनी बांधो तोरण बार के, सुरतरु मालिका रे लोल || बेनी गार्ड मंगलगीत के, मली बहु बालिका रे लोल ॥ ७ ॥ बेनी गौतम केवलज्ञान के, सोहम गधणी रे बोल || बेनी या पी जंबूने पाट के, पहोता शिवमणि रे लोल ॥ ८ ॥ बेनी करतां एहनुं ध्यान के, लहीयें जरा घणा रे लो ख || बेनी विबुध कहे श्रीवीरने, सहु जय जय जणो रे लोल ॥ ५ ॥ इति ॥ ५२ ॥
गहूंली त्रेपनमी ॥
॥ मुनि पंचम गणधर वीरना रे ॥ मुनि वंदीयें | साथे पांचरों मुनि गुणधाम रे || गुरु वंदीयें ॥ राजगृही उद्यानमां रे ॥ मु० ॥ गुरु समवसस्या शुभ गम रे || गु० ॥ १ ॥ पंच महाव्रत पालता रे ॥ मु० ॥ दश विध संयतिनो धर्म रे ॥ गुण ॥ संयम सत्तर प्रका रथी रे ॥ मु० ॥ लही पाले तेहनो मर्म रे || गुण ॥ ॥ २ ॥ दश प्रकार विनय जलो रे ॥ मु० ॥ ब्रह्मचर्य नववाडें युत्त रे ॥ गु० ॥ रत्नत्रय याराधता रे ॥ मुण बार दें तपमां रत रे ॥ गु० ॥ ३ ॥ क्रोध मान माया
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