SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६४ ) विया रे लोल ॥ ५ ॥ बेनी वधावो श्री जिनराज, करो नित्य जामणां रे बोल || बेनी गार्ड मंगल गीत के, खीजें वारणां रे बोल ॥ ६ ॥ बेनी बांधो तोरण बार के, सुरतरु मालिका रे लोल || बेनी गार्ड मंगलगीत के, मली बहु बालिका रे लोल ॥ ७ ॥ बेनी गौतम केवलज्ञान के, सोहम गधणी रे बोल || बेनी या पी जंबूने पाट के, पहोता शिवमणि रे लोल ॥ ८ ॥ बेनी करतां एहनुं ध्यान के, लहीयें जरा घणा रे लो ख || बेनी विबुध कहे श्रीवीरने, सहु जय जय जणो रे लोल ॥ ५ ॥ इति ॥ ५२ ॥ गहूंली त्रेपनमी ॥ ॥ मुनि पंचम गणधर वीरना रे ॥ मुनि वंदीयें | साथे पांचरों मुनि गुणधाम रे || गुरु वंदीयें ॥ राजगृही उद्यानमां रे ॥ मु० ॥ गुरु समवसस्या शुभ गम रे || गु० ॥ १ ॥ पंच महाव्रत पालता रे ॥ मु० ॥ दश विध संयतिनो धर्म रे ॥ गुण ॥ संयम सत्तर प्रका रथी रे ॥ मु० ॥ लही पाले तेहनो मर्म रे || गुण ॥ ॥ २ ॥ दश प्रकार विनय जलो रे ॥ मु० ॥ ब्रह्मचर्य नववाडें युत्त रे ॥ गु० ॥ रत्नत्रय याराधता रे ॥ मुण बार दें तपमां रत रे ॥ गु० ॥ ३ ॥ क्रोध मान माया Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003688
Book TitleGahuli Sangrahanama Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1908
Total Pages146
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy