________________
(१४०) णि गुण रागी, कनक रमणीना त्यागी हो साणा श्राप ॥पंच समिति त्रण गुप्ति बिराजे, प्रवचनमायने पाले हो सा॥था॥२॥ चरण करण सित्तेरी संजारे, ज्ञान कबोल उडाले हो सा॥श्रा०॥ त्रीश बत्रीशी गुण राजे, षट दर्शनमां गुरु गाजे हो सा०॥आ०॥ ॥३॥ वरसे उन्नु गुणें गुणवंता, सोहम अंबु महंता हो सा ॥ ॥ देश काल महिलें विचरंता, सम कित बीजना दाता हो सा॥ श्रा०॥४॥ राजगृही नगरीय पधाख्या, श्रेणिक सामझ्युं लाव्या हो सा० ॥था॥ मंत्री अजयकुमार प्रधान, यथोचित गुण ना जाण हो सा० ॥ श्रा॥५॥ चेलणा प्रमुख सहु परिवार, गुरुने वांदे बहु मान हो सा ॥ श्रा० ॥ बातम बाजोट पीठ बनावी, गहूंली करे रढियाली हो सा॥श्रा०॥६॥ कुंकुम घोली स्वस्तिक प्ररे, श्रेणिकनी पटराणी हो सा॥आ॥ ललि ललि गुरु मुख खूबणां करती, शिवनिश्रेणीय चडती हो सा ॥ श्रा०॥७॥ गुरुमुख कमल नयणे रे जोती, वचन सुधारस पीती हो सा॥॥ देशना सांज an हरख जराणी, देव नणे मधुरी वाणी हो सा० ॥ १०॥॥इति ॥११॥
मे हरख जराणी हो
सायणे रे जोती.
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org