Book Title: Digambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 11 Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia View full book textPage 5
________________ ___दिगंबर जैन । पाठशाला ७) मासिक, उदैपुर पाठशाला २५) महाराजा चंद्रगुप्त आदि जैन धर्मके माननेवाले मासिक तथा इसप्रकार मापकी हीराचंद गुमान- थे उनको जैनी नहीं प्रकट किया। जी जैन बोर्डिगकी ओरसे १४ विद्यार्थियोंको इसमकार अनेक आक्षेप जैन धर्मपर किये हैं । १४५॥) मासिक स्कोलीप, हीराबाग धर्मशा- इसलिये हरएक स्थानपर सभा होकर प्रस्ताव लाके फंडसे १९ विद्यार्थियोंको रु. ३०६) करने चाहिये कि ये आक्षेप निर्मुल हैं और मासिककी सहायता दी जायगी। इस प्रकार लालाजीको इसकी नकल लाहौर भेजकर इतिदानवीर सेठनीकी ओरसे करीब ७००, ८०० हासमें सुधारा करनेकी सुचना करनी चाहिये । रु. मासिककी सहायता विद्यार्थियोंको दी जाती * है। दानका सच्चा उपयोग यही है। क्या राष्ट्रीय महासभामें कार्यकर्ताओंमें धारातभा अन्य करोडाधीश, ब लक्षाधीश सेठ माणिकचंद प्रवेश अप्रवेशपर बड़ा जीके दानका अनुकरण करेंगे ? देशमें फिर ऐक्या भारी अनैक्य होरहा था जिसके निवटेरेके लिये प्रसिद्ध देशमक्त लाला लाजपतरायजीने स्कू. अभी देहलीमें खास महासभा होगई जिसमें लोंमे चलाने के लिये ऐक्य होने का प्रास्ताव होगया है अर्थात् जिनको. लालाजीके इति. " भारतका इतिहास" धारासभामें जाना हो वे खुशीसे जा सकते है हासमें भूल। हिन्दी भाषामें बनाकर व मत भी दे सकेंगे। मौ० महमदअलीके प्रकट किया है उसमें जैन असीम प्रयत्नसे ही यह तमझौता होगया है। धर्मपर अनेक प्रकारके आक्षेप लालाजीकी जैन इस महाप्तभामें सविनय भंग करनेकी व्यवस्थाके धर्मके इतिहासकी मनानकारीसे होगये हैं जिसका लिये एक कमेटीका निर्वाचन तथा सभी प्रकार के विरोध स्थान२ पर होरहा है । इस इतिहासमें ब्रिटिश मालका बहिष्कार करनेका भी प्रस्ताव लाला नीने लिखा है कि (१) जैनधर्मके नये बहुमतसे होगया है। इसीसे देशमें फिर नवीन संप्रदायकी बुनियाद २४वें तीर्थकरने डाली (२) जीवनका प्रचार होगा। देशके अनेक नेता बौद्धधर्म व जैनधर्मका सामान्य प्रभाव राजनीतिक जेलसे छूटे हैं व महात्मा गांधीजी भी शीघ्र ही अधःपातका कारण हुआ है । (३)जैनधर्मकी शि- छूटने की अनेक खबरें आरही हैं । बहुत करके क्षा बौद्धधर्मसे अधिकांश मिलती है (४) बौद्धधर्म महात्मानी दिसम्बर तक अवश्य छूट जायगे । आरम्भके आप्तपास ही जैन धर्मका प्रकाश हुआ। स्वीडनका १५ लाख रुपये का नोबल प्राइझ भी (५) जैन स्पष्टरूपसे ईश्वरके अस्तित्वका इन्कार महात्माजीको मिलने की संभावना प्रकट हुई है। करते हैं (६) जैन होना परले दरजेकी कायरता शांति और सुलहके सिरताज महात्मा गांधीहै । (७) मनुष्योंके साथ उनका वर्ताव बडा जीको जितना भी आदर मिले कम है। ही निर्दयी होता है । (८) बडे शूरवीर राजा * RAPage Navigation
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