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सत्यंधर राजा सोहामणोरे लाल ॥१॥सत्यवती राणी तास, सत्यकी सूत नामे जलोरे लाल ॥ सिंधु देश मांही जाण, विशाला नगरी पति नीलोरे लाल ॥२॥चेटक राय करे राज, सुजमाशुं सुख जोगवेरे लाल ॥ तेहने कन्या हुश्सात, प्रीत कारणी मी चवेरे लाल ॥३॥ मृगावती सुप्रजा बाल, प्रजावती चेलणा गुणवतीरे लाल ॥ज्येष्टा बही| सार, चंदना लघु सातमी सतीरे लाल ॥४॥राजग्रही श्रेणिक नूप, तस पुत्र बुझेागलोरे लाल ॥अजयकुमार गुणवंत,प्रधान पद जोगवे जलोरे लाल ॥५॥ पदम चितारो जेह, चेलणा पट लखी लावीरे लाल ॥रूप देखी अचंच्यो राय, श्रेणिक मनमां नावीयोरे लाल ॥६॥श्रेणिक ले आदेश, अन्नयकुमार उद्यम करीरे लाल ॥ श्रेणिक पट लखी रूप, वणकारा वेशे बलद नरीरे लाल ॥ ७॥ विशाला नगरी उद्यान, जिन जुवने जश् उतोरे लाल ॥ चेलणा ज्येष्टा श्रावी ताम, जिन प्रतिमा वंदन कोरे लाल In ॥ कुमरे प्रसार्यो पट ताम, रूप जोश कन्या विदवलहुरे लाल॥ था नवे ए जरतार, चेलणा कुमरी एम लवीरे लाल ॥॥अजयकुमर नणे ताम, तुम मेर्बु श्रेणिक नूपतिरे लाल ॥ सुरंगमां थर थावजो देव, अमे ले जाशुं तुम सतीरे लाल ॥ १०॥ कुमरी घर गइ दोय, चिंतातुर थ बालिकारे लाल ॥ श्रेणिक वर मन धार, श्रृंगार
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