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ढाल बीजी.
जो हो, गढरा नायक, विनति श्रवधारी गुजर पधारजोजी–ए देशी.
मार
पाणी बाहिर जली भूमि हो, गुण नायक, सुकवीए रतांबर मे बेदु जणाजी ॥ शियाल बे श्राव्यां ताम हो, गु० जय उपन्या श्रमने श्रति घणाजी ॥ १ ॥ रातां युगमां लेइ दोय हो, गु० जाइ श्रमे दोय नाठा उतावला ॥ पुंठे धायां ते शियाल हो, गु० तव गिरि उपर चड्या मे बलाजी ॥ २ ॥ बूम पाडी मे बेहु जाय हो, गु० धाठे लोक अम रक्षा करोजी ॥ मुंगर उचेली ताम हो, गु० श्रम बेदु सहित श्राकाशे धरोजी ॥ ३ ॥ ले गया शियाल हो, गु० जोजन बार विक्रमपुर थकीजी ॥ मूकी वन मोकार हो, गु० जक्षण लाग्यां शियाल वे बकीजी ॥ ४ ॥ बेदु जंबुक मली जाम हो, गु० श्रमने खाशे कुधा वश पड्याजी ॥ पारधी श्राव्या ताम हो, गु० श्वान सहित पापे नड्याजी ॥ ५ ॥ श्वान जयथी तेइ हो, गु० नावगं बेदु ते शियालीयांजी ॥ डुंगरथी उतर्यां बेद हो, गु० पारधी पुंठे चालीयाजी ॥ ६ ॥ जयजीत यया श्रमे बेह हो, गु० भूमि जोइ तव श्रति घणीजी ॥