Book Title: Dharmpariksha Ras
Author(s): Unknown
Publisher: Unknown

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Page 311
________________ बे, मलीया मांहो मांद ॥ पाटे थापी निज पुत्रने, लीधी दीक्ष उबांह ॥ ६ ॥ प्रत्यक्ष पुण्य फल देखीने, हुं थइ समकित धार ॥ कुंदलता कहे ए असत्य, तें नाख्युं निरधार ॥ ७ ॥ ढाल बडी. रसीया राचोरे दान तणे रसे - ए देशी. " बेताने शेवजी, केम थइ समकित प्राप्ति ॥ सोजागी ॥ सा कहे खामि कंपिलपुरवरे, हरिवाहन राजा शुन मति ॥ सो० पु० ॥ १ ॥ रिषनदासं शेठ तिहां वसे, पदमावती प्रिया श्राधार ॥ सो० ॥ पदमश्री पुत्री बे तेहने प्रत्यक्ष लक्ष्मीनो अवतार ॥ सो० पु० ॥ २ ॥ जरजोवन युवति यावी जली, एक दिन देहरे जातां दीव || सो० ॥ बुधदास शेठ तणे सुते वली, बुद्धसिंह घरे श्राव्यो नीठ ॥ सो० | पु० ॥ ३ ॥ काम तो बाणे करी पीमीयो, पमीयो जाइ जुने खाट ॥ सो० ॥ | जमणवेला थर पूढे शेवजी, जमे नहीं नंदन श्या माट || सो० पु० ॥ ४ ॥ लाज तजीने वात कही तेणे, बेटा जूठो न कीजे जक्क || सो० ॥ मदिरा मांस नखी जे आपणे, चंमालयी तिण गणे अधिक ॥ सो० पु० ॥ ५ ॥ तेहनी पुत्रीनी आशा ॥

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