Book Title: Devnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Author(s): Padmasagarsuri, Narayan Sangani
Publisher: Devnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दो शब्द मुनि पम सागरजीका (देवनार का कतलखामा भारत के लिए कल करूप) नामका निबंध मुझे आद्यन्त पढने का अवसर मिला, और उसके लिए "दो शब्द " लिखने का मुझे जो सुअवसर प्राप्त हुआ, तदर्थ मैं अपने स्वयं का महा पुण्यशाली समझता। बाज स्वतंत्र भारत में हिंसा के इतने “षध संस्थान" खुल गए हैं, और नित नए नए खुलते जा रहे है । इनको देखकर, किसी भी भारतीय संस्कृति पोषक के दिलमें अत्यन्त दुःख होगा कि हम किस लिए भारत को स्वतंत्र बनाना चाहते थे। हमारे कई शूरवीरोंने स्वतंत्रता की वेदी पर बलीवान क्यों दिया ? उनका आशय यही था कि-हमारा स्वतंत्र भारत रामराज्य" बने । भारतीय संस्कृति को सन्मुख रखकर, धर्मानुसार राज्य कर्ता राज्य करें । अहिंसक नीति अपनावें । ये सब बातें केवल कल्पना मात्र बनकर ही रह गई। बाज तो देश में चारों ओर उद्योगों के नाम पर हिंसा बढ रही है । मैं यह चाहता हूँ कि, इन योजनाभोंका सख्त विरोध किया जाए। किंतु संगठन के अभाव में सरकार विरोधों For Private And Personal Use Only

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