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दसवेत्रालियसुत्तं
अज्झयण १०
पञ्च य फासे महव्वयाई
पञ्चासवसंवरए जे स भिक्खू ॥ ५॥ चत्तारि वमे सया कसाए
धुवजोगी य हवेज बुद्धवयणे । अहणे निजायरूवरयए
गिहिजोगं परिवजए जे स भिक्खू ॥६॥ सम्मद्दिट्टी सया अमूढे __ अस्थि हुनाणे तवे संजमे य । तवसा धुणइ पुराणपावगं
मणवयकायसुसंवुडे जे स भिक्खू ॥ ७ ॥ तहेव असणं पाणगं वा
विविहं खाइमसाइमं लभित्ता। होही अट्टो सुए परे वा
तं न निहे न निहावए जे स भिक्खू ।। ८ ।। तहेव असणं पाणगं वा .
विविहं खाइमसाइमं लभित्ता। छदिय साहम्मियाण भुजे
भोच्चा सज्झायरए य जे स भिक्खू ॥ ६ ॥ न य बुग्गहियं कहं कहिज्जा
न य कुप्पे निहुइंदिए पसंते । 'संजमधुवजोगजुत्ते
उवसंते अविहेडए जे स भिक्खू ॥१०॥ जो सहा हु गामकण्टए अकोसपहारतजणाओ य ।
१. संजमे धुवं जोगेण जुत्त ।