Book Title: Dashvaikalik Tatha Uttaradhyayan
Author(s): Harshchandra Maharaj
Publisher: Atmaram Mohanlal Sheth
View full book text
________________
१७६]
[श्रीउत्तराध्ययनसूत्र
एएसिं वराणो चेव गन्धओ रसफासो। संठाण देसओ वावि, विहाणाई सहस्ससो ।। १२६ ॥ उराला तसा जे उ, चउहा ते पकित्तिया । बेइन्दिया-तेइन्दिया-चउरो पंचिन्दिया तहा ।। १२७ ॥ बेइन्दिया उ जे जीवा, दुविहा ते पकित्तिया । पजत्तमपजता, तेसिं भेए सुणेह मे ॥ १२८ ॥ किमिणो सोमङ्गला चेव, अलसा माइवाहया।। वासीमुहा य लिप्पिया, संखा संखणगा तहा ॥ १२६ ।। पल्लोयाणुल्लया चेव, तहेव य वराडगा। जलुगा जालगा चेव, चन्दणा य तहेच य ॥ १३० ॥ इह बेइन्दिया एएऽणेगहा एवमायो। लोगेगदेसे ते सव्वे, न सम्वत्थ वियाहिया ॥ १३१ ।। संतई पपणाइया अपजयसियावि य ।। ठिइं पडुच्च साईया, सपज्जवसियावि य ॥ १३२ ॥ .. वासाई बारसा चेव, उक्कोसेण वियाहिया । बेइन्दिय आउठिई अन्तोमुहुत्तं जहनिया ।। १३३ ।। संखिज्जकालमुक्कोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नय । .. बेइन्दियजीवाण, अन्तरं ज वियाहियं ।। १३४॥ .. अणन्तकालमुक्कोसं, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं । बेइन्दियजीवाणं, अन्तरं च वियाहियं ।। १३५ ॥ एएसि वरणओ चेष, गन्धओ रसफसओ। संठाणादेसओ वावि, विहाणाई सहस्सो ।। १३६ ॥ तेइन्दिया उ जे जीवा. दुविहा ते पकित्तिया । . पजत्तमपजत्ता, तेसिं भेए सुणेह मे ।। १३७ ॥ कुन्थुपिपीलिउडुसा, उक्कलुद्देहिया तहा। तणहारकट्टहारा य, मालुगा पत्तहारगा ॥ १३८ ।।

Page Navigation
1 ... 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256