Book Title: Dashvaikalik Tatha Uttaradhyayan
Author(s): Harshchandra Maharaj
Publisher: Atmaram Mohanlal Sheth
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श्रीउत्तराध्ययन सूत्र ]
उस्सेहो जस्स जो होइ, भवम्मि चरिमम्मि उ । तिभागहीणो तत्तो य, सिद्धाणोगाहणा भवे ॥ ६५ ॥ एगते साईया. अपजबसियावि य । पुहत्तेण अणाइया, अपजवसियावि य ॥ ६६ ॥ अरुविण जीवगणा नादंसणसन्निया |
अउलं सुहं संपत्ता, उवमा जस्स नत्थि उ ॥ ६७ ॥ लोगेगदेसे ते सब्वे, नाणदंसणसन्निया । संसारपार नित्थिरण, सिद्धिं वरगई गया ॥ ६८ ॥ संसारत्था उ जे जीवा, दुबिहा ते वियाहिया । तसा य थावरा चेव, थावरा तिविहा तहिं ॥ ६६ ॥ पुढवी आउजीवा य, तहेव य वणस्लइ । इथे थावरा तिविहा, तेसिं भेए सुरोह मे ॥ ७० ॥ दुविहा उ पुढवीजीवा, सुहुमा बायरा तहा । पजत्तमपजत्ता, एवमेव दुहा पुणो ॥ ७१ ॥ वायग जे उपजत्ता, दुविहा ते वियाहिया ।
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सराहा खरा य बोधव्वा सरहा सत्तविहा तहिं ।। ७२ ।। किराहा नीला य रुहिरा य, हलिद्दा सुक्किला तहा । पण्डुपगमट्टिया, खरा छत्तीसईविहा ॥ ७३ ॥
पुढवी य सक्करा बालुया य,
श्रय-तम्ब
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हरियाले
[ १७१
१ लोश्रग्गदे से |
उवले सिला य लोणुसे । तय-सीसग,
रुम्प - सुवरणे य वइरे य ॥ ७४ ॥ हींगुलए, मणोसिला सासगंजण - पवाले ।

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