Book Title: Dashvaikalik Tatha Uttaradhyayan
Author(s): Harshchandra Maharaj
Publisher: Atmaram Mohanlal Sheth
View full book text
________________
१७० ]
[ श्रीउत्तराध्ययन सूत्र
उरुलोए य दुवे समुद्दे,
तो जले वीसमहे तहेव य ।
सयं च अत्तरं तिरियलोए, समररोगे सिज्झइ धुवं ॥ ५५ ॥ कहिं पहिया सिद्धा ? कहिँ सिद्धा पट्टिया ? कहिं बोन्दि, चरत्ताणं ? कत्थ गन्तुगु सिज्झई ? ॥ ५६ ॥ अलोए पडिहया सिद्धा, लोगग्गे य पइट्टिया |
"
इहं वन्दि चइत्ताणं तत्थ गन्तूरा सिज्झइ ॥ ५७ ॥ बारसहिं जोयहिं सव्वस्सुवरिं भवे । ईसिप भारनामा उ पुढवी छत्तसंठिया ॥ ५= ॥ पण्यानसय सहस्सा, जोयणा तु आयया । तावइयं चैव विधिरण, तिगुणो साहिय परिरओ ॥ ५६ ॥ अजोय वा हल्ला सा मज्झग्मि दियाहिया ।
परिहायन्ती चरिमन्ते, मच्छिपत्ता उ तर ययरी ॥ ६० ॥ ग्रज्जु सुवणगमई,
सा पुढवी निम्मला सहावेण ।
उत्तारागच्छत्तगसंठिया य, भरिया
जिरांवरे हिं ॥ ६९ ॥ संखक कुंद संकासा, पण्डुरा निम्मला सुहा सीयाए जोयणे तत्तो, लोयन्तो उ वियाहिओ ॥ ६२ ॥ जोयणस्स उ जो तन्थ, कोसो उवरिमो भवे ।
तरुन कोसरून छम्भाए. सिद्ध णोगाहणा भवे ।। ६३ ।। तत्थ सिद्धा महाभागा, लोगग्गम्मि पट्टिया । भवपवंचो मुक्का, सिद्धिं कराई गया ॥ ६४ ॥
१. तिउ साहिय परिरयं ।

Page Navigation
1 ... 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256