Book Title: Dashvaikalik Tatha Uttaradhyayan
Author(s): Harshchandra Maharaj
Publisher: Atmaram Mohanlal Sheth

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Page 233
________________ १६८ ] [ श्रीउत्तराध्ययन सूत्र चेव, भइए संठाणओविय ॥ ३० ॥ रस तित्तए जे उ, भइए से उ वरणओ । गन्धओ रस रसओ कडुए जे उं, भइए से उबरणओ । गन्धओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि य ।। ३१ ।। रसओ कसाए जे उ, भइए से उ वरणओ । गन्धओ फासो चेत्र, भइए संठाय श्रोवि य ।। ३२ ।। रसओ अम्बिले जे उ, भइए से उ वरणओ । गन्धओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि य ॥ ३३ ॥ रसओ महुरए जे उ, भइव से उ वरणओ । गन्धओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि य ।। ३४ ।। फासओ कक्खडे जे उ, भइए से उ वरणओ । गन्धश्रो रसओ चेव, भइए संठा ओवि य ।। ३५ ।। फासओ मउए जे उ, भइए से बराओ । गन्धओ रस फासओ गुरूर जे उ, भइए से उ वरणश्रो । गन्धओ रसओ चैत्र भइए संठाण प्रोविय ॥ ३७ ॥ ! फास लहुए जे उ, भइए से उ वरणओ । गन्धो रसओ चेव, भइए संठाणओवि य ॥ ३८ ॥ फासए सीयए जे उ, भइए से वरण | गन्धओ रस चेव, भइए संठार ओवि य ॥ ३९ ॥ फासओ उराहए जे उ, भइए से उ चंगरायो । गन्धो रसो चेव, भद्दए संठाणविय ॥ ४० ॥ फासो निद्वए जे उ, भइर से उ वणयो । गन्धो रस चेव, भइए संठाण ओवि य ।। ४१ ।। फासो लुकखण् जे उ, भइए से उ वरणओ । ग्रन्धो रसओ चेव, भइए संठाणनोवि य ॥ ४२ ॥ चेव, भइए संठाणवि य ॥ ६६ ॥ ·

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