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अज्झयण १०
दसवेआलियसुतं
जाइमरणाउ मुच्चइ __ इत्थंथं च चएइ सव्वसो। सिद्ध वा भवइ सासए देवो वा अप्परए महिड्ढिए ॥७॥ त्ति बेमि ॥ ॥ णवमं विणयसमाही अज्झयणं समत्तं ॥
॥सभिक्खू नामं दसमं अज्झयणं । निक्खम्ममाणाइ अ बुद्धवयणे
णिञ्चं चित्तसमाहिओ हवेजा। इत्थीण वसं न यावि गच्छे
वंतं नो पडियायइ जे स भिक्खू ॥१॥ पुढविन खणे न खणावए
सीअोदगं न पिए न पियावए । .. अगणिसत्थं जहा सुनिसियं
तं न जले न जलावए जे स भिक्खू ॥२॥ अनिलेण न वीए न वीयावर
हरियाणि न छिन्दे न छिन्दावए। बीयाणि सया विवजयन्तो
सञ्चित्तं नाहारए जे स भिक्खू ॥३॥ वह तसथावराण होइ
पुढवीतणकट्टनिस्तियाणं। तम्हा उद्देसियं न भुजे
नो वि पए न पयावए जे स भिक्खू ॥४॥ रोइय नायपुत्तवयणे 'अप्पसमे मन्नेज छप्पि काए ।
१. अत्त०।