Book Title: Chintan Haim Sanskrit Dhatu Rupkosh
Author(s): Haresh L Kubadiya
Publisher: Haresh L Kubadiya
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५८
|११२ उद् + हृ
उद्धरामि
उद्धरसि
उद्धरति
उदहरम्
उदहर:
उदहरत्
उद्धरेयम्
उद्धरे:
उद्धरेत्
उद्धराणि
उद्धर
उद्धरतु
|११३ नी
नयामि
नयसि
नयति
अनयम्
अनयः
अनयत्
नयेयम्
नयेः
गण- १ उभय उद्धार
उद्धार करना, नीकालना, उठा लेना
कर्तरि
चिन्तन हैम. संस्कृत धातु रूप कोश
वो, उद्धार, डाढवु.
उद्धरावः
उद्धरामहे
उद्धरथः उद्धरथ उद्धरसे
उद्धरेथे उद्धरध्वे
उद्धरतः
उद्धरन्ति उद्धरते
उद्धरेते उद्धरन्ते
उदहराव
उदहराम उदहरे
उदहरावहि उदहरामहि
उदहरतम् उदहरत उदहरथाः उदहरेथाम् उदहरध्वम्
उदहरताम् उदहरन् उदहरत उद्धरेव उद्धरेम उद्धरेय उद्धरेतम् उद्धरेत उद्धरेथाः उद्धरेताम् उद्धरेयुः उद्धरेत
उम् उदहरन्त उद्धरेवहि उद्धरेमहि उद्धरेयाथाम् उद्धरेध्वम् उद्धरेयाताम् उद्धरेरन्
उद्धराव
उद्धराम उद्धरै
उद्धराम है
उद्धरतम्
उद्धरत उद्धरस्व
उद्धरताम्
उद्धरन्तु उद्धरताम्
गण- १ उभय स६ ४धुं, होरपुं.
ले जाना
नयेव
नये म्
नयेताम्
उद्धरामः उद्धरे उद्धरावहे
नयेत्
नयानि नयाव
नय
नयतम्
नयतु
नयताम्
कर्तर
नयावः
नयामः
नयथः
नयथ
नयतः नयन्ति
अनयाव
अनयाम
अनयतम् अनयत
अनयताम् अनयन् अनयत
नयेम नयेय नयेत |नयेथाः
नयेयुः नयेत
नयाम
नयै
नयत
नयस्व
नयन्तु (नयताम्
नये
नयसे
नयते
अनये
उद्धराव
उद्धरेथाम्
उद्धरेताम्
नयामहे
नयध्वे
नयन्ते
अनयावहि
अनयामहि
अनयथाः अनयेथाम् अनयध्वम्
नयावहे
येथे
नयेते
उद्धरध्वम्
उद्धरन्ताम्
अनतम् अनयन्त नयेवहि नयेमहि नयेयाथाम् नयेध्वम्
नयेयाताम् नयेरन्
नयावहै नयामहै
येथाम् नयध्वम्
नयेताम्
नयन्ताम्
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