Book Title: Chintan Haim Sanskrit Dhatu Rupkosh
Author(s): Haresh L Kubadiya
Publisher: Haresh L Kubadiya

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Page 71
________________ ६४ | १२० आ + श्रि गण- १ उभय. शरणे ४, सेवा रवी. शरण स्वीकारना, सेवा करना आश्रयामि आश्रयसि आश्रयति. आश्रयम् आश्रयः (आश्रयत् आश्रयेयम् आश्रयेः आश्रयेत् आश्रयाणि आश्रय आश्रयतु | १२१ भज् भजामि भजसि भजति अभजम् अभजः अभजत् भजेयम् भजेः (भजेत् भजानि भज (भजतु कर्तर आश्रयावः आश्रयथः आश्रयतः चिन्तन हैम संस्कृत धातु रूप कोश आश्रयामः आश्रये आश्रयथ आश्रयसे आश्रयन्ति आश्रयते आश्रयाम आश्रये भजावः भजथः भजतः गण- १ उभय भ४, सेवयुं . आश्रयाव आश्रयावहि आश्रयामहि आश्रयतम् आश्रयथाः आश्रयेथाम् आश्रयध्वम् आश्रयत आश्रयत आश्रयेताम् आश्रयन्त आश्रयताम् आश्रयन् आश्रयेव आश्रयेम आश्रयेय आश्रयेतम् आश्रयेत आश्रयेथाः आश्रयेताम् आश्रयेयुः आश्रयेत आश्रयेवहि आश्रये महि आश्रयेयाथाम् आश्रयेध्वम् आश्रयेयाताम् आश्रयेरन् आश्रयावहै आश्रयामहै आश्रयाव आश्रयाम आश्रयै आश्रयतम् आश्रयत आश्रयस्व आश्रयेथाम् आश्रयध्वम् आश्रयताम् आश्रयन्तु आश्रयताम् आश्रयेताम् आश्रयन्ताम् भजामः भजथ भजन्ति भजना, भजन करना, सेवा करना भजे भजसे भजते अभजे कर्तण आश्रयावहे आश्रयेथे आश्रयेते भजेव भजेम भजेय भजेतम् भजेत भजेताम् भजेयुः भजाव भजाम भजतम् भजत भजताम् भजन्तु भजेथाः भजेत भजै भजावहे भजेथे भजेते आश्रयामहे आश्रयध्वे आश्रयन्ते अभावहि अभजामहि अभजाव अभजाम अभजतम् अभजत अभजथाः अभजेथाम् अभजध्वम् अभजेताम् अभजन्त अभजताम् अभजन् अभजत भजेवहि भजेमहि भजामहे भजध्वे भजन्ते भजावहै भजस्व भजेथाम् भजताम् भजेताम् भजेयाथाम् भजेध्वम् भजेयाताम् भजेरन् - भजामहै भजध्वम् भजन्ताम्

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